script

हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, 1962 के कंट्रोल आर्डर के तहत जारी करें मिट्टी तेल का लाइसेंस

locationप्रयागराजPublished: Aug 30, 2017 11:58:00 pm

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिट्टी के तेल का लाइसेंस 1962 के कंट्रोल ऑर्डर के आधार पर देने का दिया आदेश।

Kerosene Licence

मिट्टी तेल का लाइसेंस (प्रतीकात्मक)

इलाहाबाद. हाईकोर्ट इलाहाबाद ने मिट्टी के तेल बेचने का लाइसेंस देने के मामले में इलाहाबाद, औरैया व जालौन के जिलाधिकारियों व जिला आपूर्ति अधिकारियों के खिलाफ जारी अवमानना कार्यवाही वापस ले ली है और कहा है कि 1962 के कंट्रोल आर्डर के तहत लाइसेंस जारी किए जाए।
गजट नोटिफिकेशन जारी किये बगैर 1994 से आजीवन लाइसेंस देने को सही नहीं माना किन्तु सरकार को नये सिरे से अधिसूचना जारी करने की छूट दी है। कोर्ट ने याचियों की लाइसेंस जारी करने की अर्जियां संबंधित जिलाधिकारियों को कंट्रोल आर्डर के तहत निस्तारित करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खण्डपीठ ने राजेन्द्र मिश्र सहित कई याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।
प्रमुख सचिव खाद्य आपूर्ति विभाग ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि कंट्रोल आर्डर संशोधन अधिसूचना जारी कर दी गयी थी किन्तु राजकीय मुद्रणालय से प्रकाशित नहीं हो सकी। कोर्ट ने हलफनामे के बाद हलफनामा दाखिल करने व सही स्थिति स्पष्ट न करने पर नाराजगी व्यक्त की। प्रदेश के अपर महाधिवक्ता ने कहा कि जिलाधिकारियों ने आजीवन लाइसेंस शासनादेश पर किया है। कई जिलों में एक भी लाइसेंस नहीं जारी करने पर भी कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त किया। गौतमबुद्ध नगर, बागपत, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मेरठ में एक भी लाइसेंस जारी नहीं हुआ। जिलाधिकारियों ने सफाई दी कि शासनादेश समझने में गलती हुई। कंट्रोल आर्डर के तहत एक साल का ही लाइसेंस दिया जाता है।
गोरखपुर दंगे के मामले में सुनवाई जारी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 2007 के गोरखपुर दंगे के मामले में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी। बुधवार को सुनवाई के दौरान याची के वकील एस.एफ.ए. नकवी ने अभियोजन संस्तुति न देने के आदेश को गलत बताया।
कहा कि आदेश बैक डेट में किया गया है क्योंकि 4 मई को सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने इस आदेश के बारे में जानकारी न होने की बात कही और जानकारी के लिए समय की मांग की। बाद अगली सुनवाई पर बताया गया कि योगी आदित्यनाथ के लिए अभियोजन संस्तुति देने से इनकार करने वाला आदेश 3 मई को ही हो गया था। कहा कि आज के दौर में जब ऐसे संचार माध्यम उपलब्ध हैं कि कोई सूचना कुछ ही पल में एक देश से दूसरे देश पहुँच जाती है। ऐसे में 3 मई के आदेश की जानकारी अगले दिन न होना संदेह उत्पन्न करता है।
by PRASOON PANDEY

ट्रेंडिंग वीडियो