इसके साथ ही भाजपा नेता उदयभान करवरिया व अन्य की याचिका भी कोर्ट ने खारिज कर दी है। निचली अदालत ने राज्य सरकार के मुकदमा वापस लेने के फैसले को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि मुकदमा जजमेंट के करीब पहुंच गया है और राज्य सरकार का फैसला जनहित से जुड़ा नहीं है। हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से मुकदमा वापसी का फैसला जनहित या नीतिगत नहीं है। बल्कि अभियोजक ने जल्दबाजी में विवेक का इस्तेमाल किये बिना मुकदमा वापसी की कार्रवाई की है।
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हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब मुकदमे का ट्रायल निचली अदालत में जारी रहेगा। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की बेंच ने दोनों याचिकायें खारिज कर दी हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 321 सीआरपीसी के तहत भाजपा नेता उदयभान करवरिया का केस वापस लेने का फैसला लिया था। उदयभान करवरिया की पत्नी नीलम करवरिया मेजा सीट से भाजपा की विधायक भी हैं।
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बता दें कि वर्ष 1996 में सपा विधायक जवाहर पंडित की सिविल लाइन इलाके में ए.के.47 से दिनदहाड़े हत्या कर दी गई है। जवाहर पंडित हत्याकाण्ड में उदयभान करवरिया उनके भाई पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया और पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया के साथ ही राम चन्द्र नामजद आरोपी बनाये गए थे। चारों कई सालों से जेल में बंद है। सपा विधायक जवाहर पंडित पर हुए हमले में उनके ड्राइवर और एक राहगीर की भी मौत हो गयी थी।