यह भी पढ़ें
25 साल के युवक के हौसले को सलाम, जिंदगी दांव पर लगाकर अब तक 45 लोगों को बचाया
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने महेश व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची संख्या एक से पांच तक सफाई कर्मचारी एवं छह खलासी व सात मीटर रीडर के पद पर नियुक्त हुए थे। नियुक्ति आदेश को अवैध व अनियमित मानते हुए रद्द कर दिया गया। कहा गया कि नियुक्ति से पहले सरकार से अनुमति नहीं ली गयी थी। यह भी पढ़ें
मोबाइल पर लड़की को पहले किया परेशान, विरोध करने पर घर में लगाई आग
कोर्ट ने सरकारी वकील से जानना चाहा कि किस नियम, कानून के तहत नियुक्ति से पहले सरकार की अनुमति लेना जरूरी है और बिना कारण बताओ नोटिस दिये बगैर बर्खास्त किस नियम से किया जा सकता है। संतोषजनक जवाब न मिलने पर कोर्ट ने आदेश रद्द कर दिया। यह भी पढ़ें
दिव्यांग को बनाया असलहा सप्लायर, पुलिस के खुलासे पर सवाल
कोर्ट ने यह भी कहा है कि याचियों के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश नहीं है। ऐसे में बिना सुने सेवा समाप्ति करना उचित नहीं है। कोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द करते समय इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों का उल्लंघन कर पारित आदेश कायम रहने योग्य नहीं है। BY- Court Corrospondence