दरअसल इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ऋचा सिंह के 2014 के कार्यकाल में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को विद्यार्थी परिषद ने मुख्य अतिथि के तौर पर विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया था। उस वक्त सूबे में अखिलेश यादव की सरकार थी सपा के पुरजोर विरोध होने के बाद योगी आदित्यनाथ को रास्ते से वापस लौटना पड़ा था। वही अब विश्वविद्यालय में समाजवादी छात्र सभा के पास अध्यक्ष और महामंत्री का दायित्व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के खाते में है और छात्र सभा ने अपने नेता अखिलेश यादव को आमंत्रित किया है जिसको लेकर विश्वविद्यालय में भीषण गहमागहमी का माहौल बना हुआ।
समाजवादी छात्र सभा छात्रसंघ भवन पर आयोजन की तैयारी में जुटा है तो वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रसंघ भवन पर आमरण अनशन पर है । विश्वविद्यालय प्रशासन की एग्जीक्यूटिव कमिटी में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आगमन को अनुमति नहीं दी है। समाजवादी छात्र सभा का दावा है कि एग्जीक्यूटिव कमिटी को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। इन सबके बीच विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय से लेकर लखनऊ तक की दौड़ लगा दी है । बीती रात अनशन पर बैठे पदाधिकारियों पर बमबारी की घटना ने माहौल को और गर्म कर दिया ।
सूबे के पूर्व मुखिया अखिलेश यादव ने तब माहौल गर्म कर दिया जब उन्होंने ट्वीट कर कहा कि शासन-प्रशासन ने हमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जाने से रोकने का षडयंत्र रचा है पर वो हमें छात्रों से मिलने से नहीं रोक सकते राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों के बाद अब विश्वविद्यालयों को संकीर्ण राजनीति का केंद्र बनाने की भाजपाई साज़िश देश के शैक्षिक वातावरण को भी दूषित कर देगी। अखिलेश यादव के बयान के बाद समाजवादी छात्र सभा जहां उत्साह में है तो वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने उन्हें रोकने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।