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यह संसार किसलिए है, इसका रचयिता कौन है?

locationअलीगढ़Published: Oct 09, 2018 06:25:42 am

Submitted by:

suchita mishra

बौद्ध दर्शन शास्त्र हमें यह बताता है कि जीवन एक दुख, पीड़ा है तथा वह नष्ट हो जाने वाला है।

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अलीगढ़। हम कौन हैं? शरीर तथा आत्मा के बीच क्या रिश्ता है? यह संसार किसलिए है? इसका रचयिता कौन है? ज्ञान तथा इसकी प्रवृति क्या है? वास्तविका की कितनी परतें हैं? व्यक्ति कैसे ज्ञान प्राप्त करता है? इस प्रकार के प्रश्नों पर सदैव चर्चा होती रही है। आज भी हो रही है। इन प्रश्नों के उत्तर मिलने बाकी हैं।
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भारतीय दर्शनशास्त्र दिवस पर संगोष्ठी

यह कहना है कि पंजाब विश्वविद्यालय के प्रो. लल्लन सिंह बघेल का। वे अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के दर्शनशास्त्र विभाग में इंडियन कौन्सिल ऑफ फिलोस्फिकल रिसर्च (आईसीपीआर) के सहयोग से ‘‘भारतीय दर्शनशास्त्र दिवस’’ के अवसर पर एक सिम्पोजियम को संबोधित कर रहे थे। इसका विषय ‘‘भारत के नैतिक मूल्यों की बहुमुखी प्रवृत्तियां’’ था।
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प्रश्नों पर प्राचीन काल से विचार

उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत में सृष्टि तथा संसार के उद्देश्य तथा अस्तित्व के प्रश्नों पर प्राचीन काल से विचार होता रहा है। प्रो. बघेल ने कहा कि पश्चिमी दर्शन शास्त्र के विपरीत भारतीय आस्तिक दर्शनशास्त्र तथा नास्तिक दर्शन शास्त्र की विभिन्न शाखाएं शताब्दियों तक मौजूद रहीं तथा कभी-कभी आपस के कठोर वाद-विवाद के बीच उनका विकास हुआ।
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क्या कहता है बौद्ध दर्शनशास्त्र

अमुवि के संस्कृत विभाग के प्रो. एसडी कौशिक ने बौद्ध अध्यात्मक पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बौद्ध दर्शन शास्त्र हमें यह बताता है कि जीवन एक दुख, पीड़ा है तथा वह नष्ट हो जाने वाला है। जीवन अधिकतर दुख एवं कठिनाइयों से भरा होता है और सबसे अच्छी परिस्थितयों में भी यह कभी पूर्ण रूप से आरामदायक नहीं होता। उन्होंने कहा कि पीड़ा तनहाई से उत्पन्न होती है। प्रो. कौशिक ने कहा कि बौद्ध दर्शन शास्त्र के अनुसार जीवन के दुखों से निर्वहन से ही निजात सम्भव है जो सदैव के लिये पीड़ा से छुटकारा देता है।
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वेदांत में आत्मा केन्द्र बिन्दु

आईसीपीआर के सदस्य प्रो. यूएस बिष्ट ने उपनिषद तथा वेदांत के दर्शन शास्त्र पर प्रकाश डालते हुए न्याय, विशेषिका, सामख्या, योगा, पूरवा-मेमानसा आदि पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि वेदांत में सृष्टि के रचियता के स्थान पर आत्मा को केन्द्र बिन्दु प्राप्त है। समस्त प्रयास इस आश्य का रहता है कि आत्मा की पूर्ति हो। प्रो. बिश्ट ने वेदांत के विभिन्न चिंतकों, शंकराचार्य, रामानुजाचार्या, माधवाचार्य तथा वल्लभाचार्य के विचारों पर प्रकाश डाला।
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तारिक इस्लाम ने विषय से परिचित कराया

इससे पूर्व दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो. तारिक इस्लाम ने विषय का परिचय कराते हुए कहा कि भारतीय दर्शन में वास्तविकता, ज्ञान, मूल्यों, बौद्धिक आदि पर चर्चा की गयी है। भारतीय दर्शन शास्त्र दिवस मनाने की अपनी एक विशेष प्रासंगिकता है। डॉ. अकील अहमद ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। बोधेन्द्र कुमार ने आभार व्यक्त किया।
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