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हमने ज्ञान बांटा है आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कितने ही छात्र ने आशोक सिंघल से किताबें उधार लेकर पढ़ीं। फिर वे बड़े अफ़सर भी बन गए। कितने ही छात्रों ने सिंघल जी से हॉस्टल में खाने का पैसा उधार लिया। यह पैसा आज तक नहीं लौटाया। इसके बाद भी वे मुस्कुराते हुए कहते हैं कि सब मेरे बच्चे हैं। हमने ज्ञान बाँटा है, ज्ञान बांटना ही सबसे बड़ा धर्म है। आज भी उनकी दुकान कट्टर सोच फैलाने वाले वाले सिमी के पुराने कार्यालय से दो मीटर की दूरी पर है। जो लोग सिमी से सहानुभूति रखते होंगे, उनको ये बात चुभ रही होगी। लेकिन, अलीगढ़ की सरजमीं ने दिखा दिया कि आतंक फैलाने वालों का अंत होना ही है। ज्ञान की दुकान सदैव चलती रहेगी।
हमने ज्ञान बांटा है आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कितने ही छात्र ने आशोक सिंघल से किताबें उधार लेकर पढ़ीं। फिर वे बड़े अफ़सर भी बन गए। कितने ही छात्रों ने सिंघल जी से हॉस्टल में खाने का पैसा उधार लिया। यह पैसा आज तक नहीं लौटाया। इसके बाद भी वे मुस्कुराते हुए कहते हैं कि सब मेरे बच्चे हैं। हमने ज्ञान बाँटा है, ज्ञान बांटना ही सबसे बड़ा धर्म है। आज भी उनकी दुकान कट्टर सोच फैलाने वाले वाले सिमी के पुराने कार्यालय से दो मीटर की दूरी पर है। जो लोग सिमी से सहानुभूति रखते होंगे, उनको ये बात चुभ रही होगी। लेकिन, अलीगढ़ की सरजमीं ने दिखा दिया कि आतंक फैलाने वालों का अंत होना ही है। ज्ञान की दुकान सदैव चलती रहेगी।
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सिमी ने बर्बाद किया, सिंघल ने बनाया आज़ादी के फ़ौरन बाद शमशाद मार्केट में ‘सिंघल बुक डिपो’ खोली गई। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हज़ारों लड़कों को इंसान बनाने में मदद की। दूसरी ओर सिमी जैसी कट्टरवादी संगठन के विचारों ने कई सौ घरों को बर्बाद किया। सिमी के प्रति ‘सहानुभूति’ की सोच आज भी बर्बाद कर रही है। अलीग़ बिरादरी आज भी ‘सिंघल’ जी का सम्मान करती है। सिंघल जी आज भी अपने ग़ुस्से के अन्दाज़ में बात करके बच्चों को किताब बेचते हैं।
सिमी ने बर्बाद किया, सिंघल ने बनाया आज़ादी के फ़ौरन बाद शमशाद मार्केट में ‘सिंघल बुक डिपो’ खोली गई। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हज़ारों लड़कों को इंसान बनाने में मदद की। दूसरी ओर सिमी जैसी कट्टरवादी संगठन के विचारों ने कई सौ घरों को बर्बाद किया। सिमी के प्रति ‘सहानुभूति’ की सोच आज भी बर्बाद कर रही है। अलीग़ बिरादरी आज भी ‘सिंघल’ जी का सम्मान करती है। सिंघल जी आज भी अपने ग़ुस्से के अन्दाज़ में बात करके बच्चों को किताब बेचते हैं।
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यहां जरूर जाएं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. जसीम मोहम्मद बताते हैं कि अलीगढ़ की तहज़ीब और अलीगढ़ ने हमेशा कट्टरवाद को नकारा है। भारतीय राष्ट्रवादी ज्ञान को अपने अंदर समाहित किया। तभी वो चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो, अपने चमन का हमेशा बुलबुल ही रहता है। वे कहते हैं कि आपको जब भी समय मिले, अलीगढ़ के शमशाद मार्केट इलाक़े में जामा मस्जिद के पास भारत की प्रतिबंधित संस्था सिमी का पुराना दफ़्तर या सिंघल बुक डिपो को देखने आना चाहिए। इससे आपको यह प्रेरणा मिलेगी कि अच्छा काम करने वाले सदैव जीवित रहते हैं।
यहां जरूर जाएं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. जसीम मोहम्मद बताते हैं कि अलीगढ़ की तहज़ीब और अलीगढ़ ने हमेशा कट्टरवाद को नकारा है। भारतीय राष्ट्रवादी ज्ञान को अपने अंदर समाहित किया। तभी वो चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो, अपने चमन का हमेशा बुलबुल ही रहता है। वे कहते हैं कि आपको जब भी समय मिले, अलीगढ़ के शमशाद मार्केट इलाक़े में जामा मस्जिद के पास भारत की प्रतिबंधित संस्था सिमी का पुराना दफ़्तर या सिंघल बुक डिपो को देखने आना चाहिए। इससे आपको यह प्रेरणा मिलेगी कि अच्छा काम करने वाले सदैव जीवित रहते हैं।