पूर्व विधायक जमीरउल्लाह ने बताया कि परिजनों की पूरी बात सही है। जिसकी तस्दीक उन्होंने खुद अपने स्तर से की है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजेंद्र सिंह ने भी पुलिस की मुठभेड़ की कहानी पर कई सवाल उठाए हैं। नेताओं ने कहा कि इस मामले में निश्चित रूप से जल्दबाजी में पुलिस ने निर्दोष लोगों को मार दिया है। इधर, एक मानसिक रोगी नफीस को अतरौली कोतवाली में बैठाए रखने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके खिलाफ आवाज उठाएंगे और परिवार को न्याय दिलाकर रहेंगे।
एसएसपी अजय कुमार साहनी का कहना है कि मारे गए बदमाशों के परिजन या जो भी राजनीतिक दलों के लोग पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा रहे हैं उनके इस आरोप का जवाब हम हर स्तर पर देने को तैयार हैं। जो भी कुछ किया गया है, वह जान पर खेलकर किया गया है। किसी की जान जानबूझकर नहीं ली गई, पब्लिक इस बात की गवाह है। हमारे एक एसओ को गोली लगी है और एक दरोगा बाल-बाल बच गया था। रहा सवाल इनके अपराधी होने का तो हमारे पास इनके और इनके पूरे गैंग के खिलाफ सबूत हैं। मजदूरी की आड़ में यह अपराध कर रहे थे। राजनीतिक दलों के लोग अब माहौल बिगाड़ने के लिए खड़े हो रहे हैं। यह लोग जब कहां गए थे, जब बदमाश ताबड़तोड़ हत्याएं कर जिले का माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे थे। जिस दंपति को मारकर उनके तीन-तीन बच्चों को अनाथ किया गया है, तब इन नेताओं ने बदमाशों के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई। आज पुलिस ने सीने पर गोली खाकर मजबूरन यह कदम उठाया तो यह लोग उत्साहवर्धन के बजाय माहौल बिगाड़ कर राजनीतिक बातें कर रहे हैं।