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दीक्षांत समारोह में मंगलायतन विश्वविद्यालय इन्हें देगा डीलिट की उपाधि

locationअलीगढ़Published: May 17, 2019 07:57:35 pm

शिक्षा, समाज सेवा और साहित्य के क्षेत्रों में परोपकार करने वाले महादानियों को मंगलायतन विवि ने मानद उपाधि के लिए चुना है।

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दीक्षांत समारोह में मंगलायतन विश्वविद्यालय इन्हें देगा डीलिट की उपाधि

अलीगढ़। मंगलायतन विश्वविद्यालय अपने सातवें दीक्षांत समारोह में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले तारिक-अल-गुर्ग और प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास को डी-लिट (Doctor of Letters) की मानद् उपाधि प्रदान करेगा। दोनों ही विभूतियों को अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल है। मंगलायतन विश्वविद्यालय का दीक्षांत 19 मई, 2019 को होगा। अब तक यह धारणा थी कि दान केवल धन का ही होता है लेकिन विवि का अपना अलग नजरिया है। शिक्षा, समाज सेवा और साहित्य के क्षेत्रों में परोपकार करने वाले महादानियों को मंगलायतन विवि ने मानद उपाधि के लिए चुना है। श्री तारिक अल गुर्ग और डॉ. कुमार विश्वास ऐसी ही हस्ती हैं।

तारिक अल गुर्ग
तारिक अल गुर्ग, 2009 में स्थापित दुबई केयर संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। यह संस्था एक परोपकारी संगठन है, जो विकासशील देशों के गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करके उनके जीवन स्तर को उंचा उठाने का काम करता है। श्री गुर्ग इस संस्था के रणनीतिकार हैं। युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों के बच्चों को शिक्षा देने के लिए दुबई केयर एक चैम्पियन की तरह काम कर रहा है। यूनेस्को ने उनकी सेवाओं को देखते हुए वर्ष 2016 में मेडिटोरियन (उत्कृष्टता) पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। उनका संगठन अपने संसाधनों का 33 प्रतिशत अंश आपात क्षेत्रों में शिक्षा के उत्थान पर व्यय करता है। उनका उद्देश्य शिक्षा को प्रत्येक दिशा में बढ़ावा देना है।

डॉ. कुमार विश्वास
प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास की अपनी एक अलग पहचान है। वह एक प्रचारक, अथवा नेता नहीं बल्कि समाज का सच्चा आईना हैं। डॉ. विश्वास के दिल में जो गहरा दर्द छिपा है, वह उनके काव्य के माध्यम से आम जन मानस को मंत्रमुग्ध कर लेता है। इसलिए उनको अत्याधुनिक हिंदी में सरस्वती का वरद पुत्र कहा जाता है। उनकी कलम सामाजिक मुद्दों, महिला सशक्तिकरण, देश भक्ति के साथ खिलवाड़ करने वालों पर गहरा प्रहार करती है। इसी कारण उनकी कवितायें समाज के लिए एक आइना हैं। श्री विश्वास ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध अपने साहित्यिक जुनून को पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई को छोड़ा। अपने आप को साहस और दृ़ढ़ निश्चय के बल पर साहित्य को समर्पित कर दिया।

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