शिक्षा बोर्ड प्रति वर्ष बारहवीं विज्ञान, वाणिज्य, कला वर्ग सहित दसवीं की राज्य स्तरीय सहित जिला स्तरीय योग्यता सूची जारी करता था। इस सूची में स्थान पाने के लिए विद्यार्थियों के अलावा निजी स्कूल संचालकों के बीच व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा बढऩे लगी। चार वर्ष पूर्व ही एक निजी विद्यालय संचालक द्वारा परीक्षक को अपने विद्यालय के विद्यार्थियों को मनमाफिक अंक देने के लिए प्रलोभन देने और धमकाने की घटना सामने आने के बाद बोर्ड की मेरिट में फिक्सिंग के खेल का संदेह पैदा हो गया था।
एक ही स्कूल के 17 विद्यार्थी मेरिट में-
2015 में शिक्षा बोर्ड की दसवीं मेरिट जारी होते हुए पूरे राज्य में बवाल मच गया। वजह यह थी इस लिस्ट में एक ही निजी विद्यालय के 17 विद्यार्थी शामिल थे। नकल अथवा फिक्सिंग की संभावना को देखते हुए बोर्ड ने दूसरे दिन ही इस योग्यता सूची पर रोक लगा दी। बोर्ड ने इस विद्यालय के सभी विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को वापिस जंचवाया। विवाद बढ़ता देख शिक्षा बोर्ड ने इसकी जांच का जिम्मा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी ) को सौंपा। हालांकि जांच के बाद किसी भी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई।
2015 में शिक्षा बोर्ड की दसवीं मेरिट जारी होते हुए पूरे राज्य में बवाल मच गया। वजह यह थी इस लिस्ट में एक ही निजी विद्यालय के 17 विद्यार्थी शामिल थे। नकल अथवा फिक्सिंग की संभावना को देखते हुए बोर्ड ने दूसरे दिन ही इस योग्यता सूची पर रोक लगा दी। बोर्ड ने इस विद्यालय के सभी विद्यार्थियों की उत्तरपुस्तिकाओं को वापिस जंचवाया। विवाद बढ़ता देख शिक्षा बोर्ड ने इसकी जांच का जिम्मा पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी ) को सौंपा। हालांकि जांच के बाद किसी भी प्रकार की अनियमितता सामने नहीं आई।
2016 से बंद हो गई मैरिट-
बहरहाल, योग्यता सूची को लेकर लगातार विवादों के बाद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बरसों से चली आ रही इस परम्परा को 2016 से बंद कर दिया है। शिक्षा बोर्ड अब अपने किसी भी परीक्षा के परिणाम के साथ राज्य एवं जिला स्तरीय योग्यता सूची जारी नहीं करता।
बहरहाल, योग्यता सूची को लेकर लगातार विवादों के बाद माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बरसों से चली आ रही इस परम्परा को 2016 से बंद कर दिया है। शिक्षा बोर्ड अब अपने किसी भी परीक्षा के परिणाम के साथ राज्य एवं जिला स्तरीय योग्यता सूची जारी नहीं करता।