scriptशायद 2019 में हो जाए ये काम, वरना दो साल से बदल रहे कलैंडर | wait for Bio metric attendance, hope in year 2019 | Patrika News

शायद 2019 में हो जाए ये काम, वरना दो साल से बदल रहे कलैंडर

locationअजमेरPublished: Dec 02, 2018 05:28:49 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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bio metric attandance

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अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सहित कॉलेज में विद्यार्थियों की बायो मेट्रिक प्रणाली से अटेंडेस नहीं हो रही। दो साल से सरकार और विश्वविद्यालय कलैंडर बदल रहे हैं। साल 2019 में भी इसकी शुरुआत होगी या नहीं इसको लेकर असमंजस है।
कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियमित विद्यार्थियों की 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इससे कम उपस्थिति विद्यार्थियों को परीक्षा में बतौर स्वयंपाठी बैठाने के अलावा राजभवन को सूचना भेजना जरूरी है। इसके बावजूद कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पूरी हो जाती है। इसीलिए राज्यपाल कल्याण सिंह ने साल 2017 में एक उच्च स्तरीय समिति बनाई।
यह थी सिफारिश
मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और जोधपुर के जेएनवी यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने बायो मेट्रिक प्रणाली से अटेंडेंस कराने की सिफारिश की। राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश भेज दिए।
नहीं हुई अनुपालना

मदस विश्वविद्यालय में पिछले साल बायो मेट्रिक अटेंडेंस लागू करने के निर्देश दिए गए थे। फाइल अफसरों के पास गई तो उस पर टिप्पणियों का दौर चल पड़ा। अफसरों ने विद्यार्थियों की एक या दोबार अटेंडेंस, मशीनों की खरीद, डाटा सुरक्षा, सर्वर पर भार और अन्य सवाल पूछ लिए। इसके चलते मामला आगे नहीं बढ़ पाया है।
निदेशालय-सरकार बेखबर
राज्य के सरकारी और निजी कॉलेज में भी बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की अटेंडेंस होनी है। सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय तो बेखबर है। किसी स्तर पर नवीन प्रणाली पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में रजिस्टर में ही विद्यार्थियों की अटेंडेंस हो रही है। यही वजह है, कि प्रतिवर्ष विद्यार्थियों की अटेंडेंस येन-केन पूरी हो जाती है।
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