सेवा नियोजित (सर्विस) मतदाताओं की संख्या 3044 है। इमें 36 महिलाएं है। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 21 हजार 912 है। इनमें 2337 को विजुअल डिसेबिल्टी,4928 को स्पीच एंड हीयरिंग डिसेबिल्टी तथा 10887 को लोकोमोटर डिसेबिल्टी है। जिले में पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 41 हजार 453 तथा महिलाओं मतदाताओं की संख्या 9 लाख 9 हजार 400 है।
विधानसभावार कहां कितने मतदाता
-विधानसभा क्षेत्रकिशनगढ़ में 1 लाख 34 हजार 589 पुरूष, 1 लाख 27 हजार 35 महिला सहित कुल 2 लाख 62 हजार 216 मतदाता है। -पुष्कर में 1 लाख 17 हजार 88 पुरूष,1 लाख 11 हजार 453 महिला सहित कुल 2 लाख 29 हजार 162 मतदाता है।
-अजमेर उत्तर में 1 लाख 28 हजार 79 पुरूष, 1 लाख 1569 महिला तथा अन्य 9 सहित कुल 2 लाख 4 हजार 682 अन्य मतदाता है।
-विधानसभा क्षेत्रकिशनगढ़ में 1 लाख 34 हजार 589 पुरूष, 1 लाख 27 हजार 35 महिला सहित कुल 2 लाख 62 हजार 216 मतदाता है। -पुष्कर में 1 लाख 17 हजार 88 पुरूष,1 लाख 11 हजार 453 महिला सहित कुल 2 लाख 29 हजार 162 मतदाता है।
-अजमेर उत्तर में 1 लाख 28 हजार 79 पुरूष, 1 लाख 1569 महिला तथा अन्य 9 सहित कुल 2 लाख 4 हजार 682 अन्य मतदाता है।
-अजमेर दक्षिण में 1 लाख 191 पुरूष, 99 हजार 616 महिला सहित कुल 2 लाख 1 हजार 44 मतदाता है। -नसीराबाद में 1 लाख 8 हजार 929 पुरूष,1 लाख 4868 महिला तथा अन्य 2 सहित कुल 2 लाख 14 हजार 175 मतदाता है। -मसूदा में 1 लाख 30 हजार 720 पुरूष, 1 लाख 25 हजार 205 महिला सहित कुल 2 लाख 56 हजार 314 मतदाता है।
-केकड़ी में 1 लाख 23 हजार 145 पुरूष,1लाख 19 हजार 336 महिला तथा 2 अन्य सहित कुल 2 लाख 42 हजार 649 मतदाता है।
-केकड़ी में 1 लाख 23 हजार 145 पुरूष,1लाख 19 हजार 336 महिला तथा 2 अन्य सहित कुल 2 लाख 42 हजार 649 मतदाता है।
-ब्यावर क्षेत्र में 1 लाख 22 हजार 812 पुरूष तथा 1 लाख 20 हजार 318 महिला मतदाता सहित कुल 2 लाख 43 हजार 668 मतदाता है।
तो फिर किसके लिए बनती एनआरआई कॉलोनी जिले में पिछले पांच साल में एक भी एनआरआई वोटर नहीं बनाया जा सका। हालांकि यूआईटी के तत्कालीन अध्यक्ष नरेन शाहनी अपने कार्यकाल में जिले में एनआरआई की संख्या देखते हुए उनके एनआरआई कॉलोनी बसा रहे थे। हालांकि उनके पद से हटते ही यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई और अब इसका नाम बदल कर विजया राजे सिंधिया नगर करते हुए इसे लांच भी कर दिया गया है।
तो फिर किसके लिए बनती एनआरआई कॉलोनी जिले में पिछले पांच साल में एक भी एनआरआई वोटर नहीं बनाया जा सका। हालांकि यूआईटी के तत्कालीन अध्यक्ष नरेन शाहनी अपने कार्यकाल में जिले में एनआरआई की संख्या देखते हुए उनके एनआरआई कॉलोनी बसा रहे थे। हालांकि उनके पद से हटते ही यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई और अब इसका नाम बदल कर विजया राजे सिंधिया नगर करते हुए इसे लांच भी कर दिया गया है।