विवाह की मध्यस्थता किशनगढ़ निवासी रमेश मंत्री एवं उसकी पत्नी पूजा ने की। विवाह करने के साथ ही उसने दो लाख रुपए की राशि उनको अदा कर दी और संगीता को दुल्हन बनाकर उसी दिन रामपुरा ले आया। विवाह के तीसरे दिन उसने अपने रिश्तेदारों, मित्र व ग्रामवासियों को प्रीतिभोज के लिए आमंत्रित किया और उसी दिन संगीता ने पेट में दर्द होने की बात कही। किशनलाल ने उसे ग्राम लोहरवाड़ा में ही निजी चिकित्सक को दिखाने की बात कही। इस पर वह नहीं मानी और उसे वह नसीराबाद ले आया और निजी चिकित्सक को दिखाया।
इसके बाद जब वह गांव लौटने की तैयारी कर रहे थे तो लाल डिग्गी के समीप संगीता ने लघुशंका की इच्छा जताई। लेकिन वहां भीड़-भाड़ होने के कारण वह उसे पोस्टऑफिस के सामने स्थित झाडिय़ों की ओर ले गया। वह स्वंय तो बाइक पर ही बैठा रहा और संगीता लघुशंका के लिए झाडिय़ों की तरफ चली गई। उसने संगीता को झाडिय़ों में अंदर तक जाने के लिए मना किया लेकिन संगीता ने अंदर तक जाकर रेस लगा दी और फरार हो गई। आंखों के सामने अपनी दुल्हन को फरार होता देखा किशनलाल अचंभित हो गया। उसने उसकी काफी तलाश की लेकिन संगीता का कहीं पता नहीं चला।
अपने ठगे जाने का एहसास होने पर उसने गुरुवार ग्रामीणों व परिजन को नसीराबाद सिटी थाने बुलाया। वहीं किशनगढ़ से भी नवविवाहिता संगीता सहित मध्यस्थता कराने वाले व अन्य लोग पहुंच गए। समाचार लिखे जाने तक दोनों पक्षों में राजीनामे के प्रयास जारी थे।