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अजमेर

थारपारकर… एमपी से लेकर मेघालय तक राजस्थान की गाय की डिमांड, देती है अच्छा दूध

मौसम के अनुकूल है नस्ल, भेजे जा रहे श्रेष्ठ बैल

अजमेरJul 22, 2023 / 12:26 pm

Amit

थारपारकर... एमपी से लेकर मेघालय तक राजस्थान की गाय की डिमांड, देती है अच्छा दूध

थारपारकर… एमपी से लेकर मेघालय तक राजस्थान की गाय की डिमांड, देती है अच्छा दूध

अमित काकड़ा
अजमेर. किसी समय सिर्फ राजस्थान की ही रही थारपारकर नस्ल का गोवंश अपनी खासियत के कारण अब देशभर में पहचान बना रहा है। इस नस्ल के सांड की देशभर में हर कहीं मांग बढ़ रही है। रेगिस्तान की यह नस्ल मध्यप्रदेश के मैदानों के साथ-साथ मेघालय जैसे पहाड़ी क्षेत्रों सहित देश के अन्य 14 राज्यों में भी अपनी पैठ बना चुकी है।
थारपारकर राजस्थान की नोटिफाइड ब्रीड है। यह नस्ल मुख्य रूप से रेगिस्तानी इलाके बाड़मेर-जैसलमेर की है। इस नस्ल की गाय का दूध बहुत पौष्टिक होता है। यह चारागाह ढूंढने में माहिर होती है। चारे के लिए दूर तक चली जाती है। बेहतर सेहत के कारण यह दुग्ध उत्पादकों के लिए लाभदायक होती है।
कम व ज्यादा तापमान कर सकती है सहन
रेगिस्तान में गर्मी के दौरान तापमान 45 डिग्री तक रहता है। वहीं सर्दी के दौरान 5 डिग्री के नीचे तक पहुंच जाता है। ऐसे में इस नस्ल की खासियत है कि तेज सर्दी व तेज गर्मी सहन कर जाती है। दूध का उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता है। यह नस्ल वर्ष में करीब 305 दिन दूध देती है।
ऐसे तैयार होते हैं सांड
एडीडीएफ की ओर से जैनेटिक मैरिट के आधार पर सांड लिए जाते हैं। जिन गायों का दूध अच्छा होता है। उनके बच्चे लिए जाते हैं। इन सांडों की प्रजनन क्षमता भी अच्छी होती है। सांडों को रामसर पशु संवर्धन शाला में गहन देखरेख में रखा जाता है। 6 से 8 महीने के बच्चे को यहां लाया जाकर सभी को अलग-अलग रखा जाता है। जहां प्रोटीन व विटामिन युक्त आहार दिया जाता है। इसके अलावा बारीक कुट्टी, हरा चारा भी दिया जाता है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन 2020-21 में भी इन बछड़ों को रामसर लाया गया। अब तक यहां से 84 बछड़े राजस्थान सहित दूसरे राज्यों में भेजे जा चुके हैं। इनमें से करीब 20 प्रतिशत ही राजस्थान में है।
उड़ीसा से लेकर मेघालय तक डिमांड
थारपारकार नस्ल की डिमांड समुद्र के पास स्थित उड़ीसा से लेकर हिमालय की गोद में बसे मेघालय में भी है। यहां थारपारकर नस्ल के सांडों से उत्कृष्ट नस्ल तैयार कराई जाती है। 2018 से 2023 तक राजस्थान में 19, गुजरात में 9, केरल में 6, कर्नाटक में 6, आंध्र प्रदेश में 2, मध्यप्रदेश में 8, हरियाणा में 7, उड़ीसा में 7, मेघालय में 2, तमिलनाडू, महाराष्ट्र में 3, उत्तरप्रदेश में 6, बिहार में 4 सांड भेजे गए थे।
इनका कहना है
रेगिस्तान में तेज गर्मी व सर्दी दोनों पड़ती है। थारपारकर नस्ल की खासियत है कि यह दोनों में सहज रहती है। इसका दूध भी अच्छा होता है। यह राजस्थान की नोटिफाइड ब्रीड है।
महेश पंडोले, उपनिदेशक, राजकीय पशु प्रजनन फार्म रामसर
थारपारकर राजस्थान की नोटिफाइड नस्ल है। यह चारे के लिए दूर तक जाती है। इसमें बीमारियां भी कम लगती हैं।
नवीन परिहार, सहायक निदेशक पशुपालन विभाग अजमेर

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