प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि दमनकारी सरकार अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को खत्म कर लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने में जुटी हुई है। सरकार से सवाल करना अब देषद्रोह की परिभाषा में आता है। जो लोकतंत्र के भविष्य के लिए खतरा है।
पीयूसीएल यह महसूस करती है कि सरकार के तानाशाही आचरण के खिलाफ आमजन एकजुट होकर सामने आना चाहिए। जिस मामले को लेकर सरकार गिरफ्तारी न्याय संगत बताई जा रही है वह पहले ही न्यायालय में विचाराधीन है।
ऐसे में कानूनों की अनदेखी कर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को प्रताडि़त कर गिरफ्तार करना अमानवीय होने के साथ मानवाधिकार का उल्लंघन है। विरोध प्रदर्शन में पीयूसीएल के राज्य उपाध्यक्ष डी.एल. त्रिपाठी, राज्य महासचिव अनन्त भटनागर, जिला अध्यक्ष ओ.पी रे, सिस्टर गीता कैरोल, कुसुम पालीवाल, सुरेश अग्रवाल, उषा देवी जैन, दिलीप सामनानी, केशव राम सिंघल, बदरुद्दीन कुरेशी, शहनाज खान, पुखराज, अमित कटारिया, फादर हीरालाल मैसी, निजामुद्दीन कुरेशी, दीपा पारवानी, अस्मत चाची, डॉ. सुनीता तंवर, शेखज़दा जुल्फिकार चिश्ती समेत विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे।
साहब के कारनामे देखकर चकराए अफससर बैंक ऑफ बड़ौदा की रामगंज शाखा में ऋण के नाम पर करोड़ों रुपए के कथित घोटाले को लेकर बैंक प्रशासन फिलहाल असंमजस की स्थिति में है। बैंक के उच्चाधिकारियों का मानना है कि यह घोटाला है या फिर दस्तावेजों को लेकर अनियमितता इसकी जांच चल रही है। पूरे मामले की जानकारी बैंक मुख्यालय भिजवा दी गई है।
बैंक शाखा में पिछले दिनों ऋण के नाम पर कथित घोटाले का मामला सामने आया था। बैंक प्रशासन ने प्रथमदृष्टया शिकायत के मद्देनजर बैंक की प्रबंधक ज्योति यादव को निलम्बित कर दिया था। इसके बाद बैंक प्रशासन ने एहतियात के तौर पर यादव के कार्यकाल के दौरान दिए ऋणों की फाइलें खंगालना शुरू कर दिया है।