scriptshravan special : श्रावण मास में दो भागों में विभक्त हो जाता है शिवलिंग | shravan special: Shivling divides into two parts in the Shravan month | Patrika News

shravan special : श्रावण मास में दो भागों में विभक्त हो जाता है शिवलिंग

locationअजमेरPublished: Jul 22, 2019 05:53:06 pm

Submitted by:

Preeti

shravan special : जन-जन की आस्था का केन्द्र पारेश्वर महादेव मंदिर
यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना होती है पूरी

shravan special: Shivling divides into two parts in the Shravan month

shravan special : श्रावण मास में दो भागों में विभक्त हो जाता है शिवलिंग


नीरज जैन ‘लोढ़ा’/ रतन गिरी

केकड़ी/पारा . केकड़ी के समीप ग्राम पारा स्थित प्राचीन पारेश्वर महादेव मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। माना जाता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। श्रावण मास ( Shravan month)में शिवलिंग दो भागों में विभक्त हो जाता है। इस चमत्कार को देखने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। यह मंदिर करीब 6630 वर्ष पुराना है। पारेश्वर महादेव मंदिर (Pareshwar Mahadev Temple) अत्यन्त प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। लोगों के अनुसार श्रद्धा और विश्वास का दूसरा नाम पारेश्वर महादेव मंदिर है। यह मंदिर क्षेत्र के अत्यंत चमत्कारिक स्थानों में शामिल है। यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के दौरान दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। इस दौरान भजन संध्या सहित विविध आयोजन होते हैं।
गोबर की रोड़ी में प्रकटा शिवलिंग
किवंदती के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व गांव के बाहर कचरा डालने आई महिलाओं को गोबर की रोड़ी में से दूध निकलता नजर आया। अनिष्ट की आशंका से घबराई महिलाओं ने इसकी सूचना गांव के पुरुषों को दी। पुरुषों ने इस घटना की जानकारी राजा को दी। रोड़ी से दूध निकलने का समाचार सुन राजा (King) अचंभित रह गए। उन्होंने ज्योतिषियों को बुलाकर रोड़ी से दूध निकलने की घटना की जानकारी देते हुए इसका फलित बताने के लिए कहा। ज्योतिषियों के साथ मौके पर पहुंचे राजा व ग्रामीण गोबर की रोड़ी में दूध भरा देख अचंभित रह गए। देखते ही देखते वहां से दूध गायब हो गया और पारद का बना विशालकाय शिवलिंग नजर आने लगा। ज्योतिषियों के सुझाव पर शिवलिंग को किसी मंदिर में स्थापित करने का प्रयत्न किया गया लेकिन लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग यथावत रहा। कुछ समय बाद राजा को सपना आया और सपने में उन्हें निर्देश मिला कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ है, वहीं पर मंदिर बनाकर पूजा अर्चना की जाए।
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पारेश्वर से बना पारा
रोड़ी में प्रकट हुआ शिवलिंग पारद पत्थर का है। पारद का होने के कारण इस स्थान का नाम पारेश्वर महादेव रखा गया। महादेव मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम भी पारा हो गया। मंदिर में सेवा-पूजा का कार्य करने वाले पुजाररियों ने बताया कि श्रावण मास में शिवलिंग दो भागों में विभक्त हो जाता है। इसके मध्य स्पष्ट दरार नजर आने लगती है। भक्तों के अनुसार यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। श्रावण मास के पश्चात शिवलिंग वापस पूर्ववत स्थिति में आ जाता है। मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य प्राचीन काल से ही गोस्वामी परिवार करता आ रहा है। कुनबा बढऩे के साथ ही पारा में गोस्वामी परिवार के कई घर हो गए हैं। पूजा अर्चना करने वाले एक परिवार का नम्बर वापस लगभग एक वर्ष बाद आता है।
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