गोबर की रोड़ी में प्रकटा शिवलिंग
किवंदती के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व गांव के बाहर कचरा डालने आई महिलाओं को गोबर की रोड़ी में से दूध निकलता नजर आया। अनिष्ट की आशंका से घबराई महिलाओं ने इसकी सूचना गांव के पुरुषों को दी। पुरुषों ने इस घटना की जानकारी राजा को दी। रोड़ी से दूध निकलने का समाचार सुन राजा (King) अचंभित रह गए। उन्होंने ज्योतिषियों को बुलाकर रोड़ी से दूध निकलने की घटना की जानकारी देते हुए इसका फलित बताने के लिए कहा। ज्योतिषियों के साथ मौके पर पहुंचे राजा व ग्रामीण गोबर की रोड़ी में दूध भरा देख अचंभित रह गए। देखते ही देखते वहां से दूध गायब हो गया और पारद का बना विशालकाय शिवलिंग नजर आने लगा। ज्योतिषियों के सुझाव पर शिवलिंग को किसी मंदिर में स्थापित करने का प्रयत्न किया गया लेकिन लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग यथावत रहा। कुछ समय बाद राजा को सपना आया और सपने में उन्हें निर्देश मिला कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ है, वहीं पर मंदिर बनाकर पूजा अर्चना की जाए।
किवंदती के अनुसार हजारों वर्ष पूर्व गांव के बाहर कचरा डालने आई महिलाओं को गोबर की रोड़ी में से दूध निकलता नजर आया। अनिष्ट की आशंका से घबराई महिलाओं ने इसकी सूचना गांव के पुरुषों को दी। पुरुषों ने इस घटना की जानकारी राजा को दी। रोड़ी से दूध निकलने का समाचार सुन राजा (King) अचंभित रह गए। उन्होंने ज्योतिषियों को बुलाकर रोड़ी से दूध निकलने की घटना की जानकारी देते हुए इसका फलित बताने के लिए कहा। ज्योतिषियों के साथ मौके पर पहुंचे राजा व ग्रामीण गोबर की रोड़ी में दूध भरा देख अचंभित रह गए। देखते ही देखते वहां से दूध गायब हो गया और पारद का बना विशालकाय शिवलिंग नजर आने लगा। ज्योतिषियों के सुझाव पर शिवलिंग को किसी मंदिर में स्थापित करने का प्रयत्न किया गया लेकिन लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग यथावत रहा। कुछ समय बाद राजा को सपना आया और सपने में उन्हें निर्देश मिला कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्रकट हुआ है, वहीं पर मंदिर बनाकर पूजा अर्चना की जाए।
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पारेश्वर से बना पारारोड़ी में प्रकट हुआ शिवलिंग पारद पत्थर का है। पारद का होने के कारण इस स्थान का नाम पारेश्वर महादेव रखा गया। महादेव मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम भी पारा हो गया। मंदिर में सेवा-पूजा का कार्य करने वाले पुजाररियों ने बताया कि श्रावण मास में शिवलिंग दो भागों में विभक्त हो जाता है। इसके मध्य स्पष्ट दरार नजर आने लगती है। भक्तों के अनुसार यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। श्रावण मास के पश्चात शिवलिंग वापस पूर्ववत स्थिति में आ जाता है। मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य प्राचीन काल से ही गोस्वामी परिवार करता आ रहा है। कुनबा बढऩे के साथ ही पारा में गोस्वामी परिवार के कई घर हो गए हैं। पूजा अर्चना करने वाले एक परिवार का नम्बर वापस लगभग एक वर्ष बाद आता है।