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अजमेर जिले की आस,बीसलपुर बांध बुझाएगा ‘प्यास’

locationअजमेरPublished: Aug 22, 2019 08:19:33 pm

Submitted by:

suresh bharti

– बीसलपुर बांध की भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर
– उपभोक्ता डिमांड व खपत की अपेक्षा कम मिल रहा पानी
– एक साल से 72 घंटे के अंतराल में जलापूर्ति
– ग्रामीण क्षेत्र में लाइनें बिछाई, लेकिन नियमित नहीं सप्लाई

Pressure of drinking water supply increased in two days from Bisalpur

अजमेर जिले की आस,बीसलपुर बांध बुझाएगा ‘प्यास’

अजमेर. बीसलपुर बांध पूरा भरने के बाद जिले में पेयजल समस्या हल होने के आसार हैं। पिछले साल बांध में करीब ३०९ आरएल मीटर पानी आया था। इसके चलते अजमेर शहर सहित पूरे जिले में जलापूर्ति में कटौती कर48 की बजाय 72 घंटे करनी पड़ी। अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, भिनाय, किशनगढ़, मसूदा, अरांई, पीसांगन, रूपनगढ़, सरवाड़,पुष्कर व श्रीनगर उपखंड में पूरे साल पेयजल समस्या बनी रही।
बीसलपुर बांध के निर्माण बाद भी यहां रोजाना पेयजल नसीब नहीं हो रहा। वैसे यह बांध अजमेर जिले की पेयजल समस्या निस्तारण के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में जयपुर व टोंक जिले को भी सप्लाई किए जाने लगा। इस साल बांध फुल भर गया है। इसकी भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर है।
बांध प्रशासन ने हाल ही में तीन साल बाद बांध के गेट खोले हैं। बीसलपुर बांध के लबालब होने के बाद से अब जिले में पेयजल सप्लाई का अंतराल घटाने की मांग तेज हो गई है। वैसे अजमेर शहर को 48 घंटे में जलापूर्ति का निर्णय हो गया है। यहां 315 आरएल मीटर पानी की आवश्यकता है। जलापूर्ति कटौती के चलते यहां 270 आरएल मीटर पानी दिया जा रहा था।
अजमेर शहर को 48 घंटे में जलापूर्ति के निर्णय के बाद अब जिले से भी अंतराल घटाने का दबाव बढऩे लगा है। वर्तमान में ब्यावर शहर को करीब एक साल से 72 घंटे के बाद 21-22 एमएलडी पानी मिल रहा है। शहर के ६२ जोन में जलापूर्ति होती है। जवाजा परियोजना के तहत करीब एक सौ से अधिक गांवों में पाइप लाइन बिछाने का काम हो चुका है। पर्याप्त जलापूर्ति नहीं होने से इन गांवों में पेयजल वितरण नहीं हो पा रहा है। इस इलाके में पांच से सात दिन में एक बार पानी की सप्लाई दी जा रही है।
27 एमएलडी पानी की जरूरत

ब्यावर शहर में 48 घंटे में जलापूर्ति के लिए करीब 27 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। शहर को महज 21 ms 22 एमएलडी पानी ही मिल रहा है। कई बार तो 19 से 20 एमएलडी पानी सप्लाई हो पाता है। एेसे में लोगों की पानी सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पा रही।
ग्रामीण क्षेत्र की जलापूर्ति व्यवस्था गड़बड़ाई

ब्यावर उपखंड के जवाजा इलाके में बीसलपुर परियोजना के तहत पहले चरण के गांवों तक भी पानी नहीं पहुंच सका है। पहले चरण के करीब एक सौ गांव व ढाणियों में पाइप लाइन डालने व टेस्टिंग का काम करने का दावा किया जा रहा है।
अब तक जवाजा तक ही पानी नहीं पहुंच सका है, जबकि टॉडगढ़ तक पानी पहुंचाने में खासी परेशानी आएगी। इस परियोजना का काम पूरा होने का समय पूरा हो गया है। अब तक टॉडगढ़ सहित भालिया क्षेत्र में काम बाकी है, जबकि जवाजा परियोजना के लिए दौलतगढ़ सिंघा स्थित स्टोरेज टैंक से ही सप्लाई जानी है।
एेसे में नसीराबाद से लगातार 17 से 18 घंटे तक पम्पसेट चलने पर ही शहर व गांव की जलापूर्ति संभव हो सकेगी। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के एईएन एस.डी. गहलोत के अनुसार यही सही है कि ब्यावर शहर की आबादी के हिसाब से 27 एमएलडी पानी चाहिए, लेकिन वर्तमान में 21 से 22 एमएलडी जलापूर्ति की जा रही है।
किशनगढ़ में तीन दिन में जलापूर्ति,उसका भी प्रेशर कम

किशनगढ़ उपखंड मुख्यालय में 72 घंटे में जलापूर्ति की जा रही है, लेकिन कम दबाव से पानी आने से यहां लोगों को कई दिक्कतें हैं। इसमें भी कई बार जलापूर्ति का अंतराल बढ़ा दिया जाता है।
अभी नसीराबाद पंप हाउस से २० एमएलडी पानी मिल रहा है। कई बार तकनीकी या अन्य दिक्कतें आने पर यह अंतराल 4 दिन का हो जाता है। इस साल बीसलपुर बांध के पूरा भरने के बाद किशनगढ़ शहर में 48 घंटे में पेयजल सप्लाई की मांग तेज हो गई है।
26 एमएलडी की आवश्यकता

किशनगढ़ को हर दो दिन में जलापूर्ति के लिए 26 एमएलडी पानी की आवश्यकता है। नसीराबाद पंप हाउस से मसाणिया बालाजी पंप हाउस तक पेयजल आपूर्ति की जाती है। फिर यहां से किशनगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों में पंप हाउसों और उच्च जलाशयों से घरों तक जलापूर्ति की जा रही है।
कहीं खाली टंकिया तो कहीं पाइप लाइनें क्षतिग्रस्त

अजमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में वैसे बीसलपुर बांध से जलापूर्ति की व्यवस्था है, लेकिन तीन से चार दिन के अंतराल से पानी मिल रहा है। कभी बिजली कटौती के चलते टंकियों में पानी भंडारण नहीं हो पाता तो कई बार पाइप लाइन लीकेज व टूटने पर पेयजल सप्लाई बाधित हो जाती है। ऐसे में ग्रामीणों को पांच से सात दिन बाद भी पानी नसीब नहीं हो पाता।
पिछले साल औसत बारिश कम होने से भूजल स्तर रसातल में पहुंच गया था। बांध, तालाब व कुएं सूखे पड़े रहे। हैण्डपम्प व ट्यूबवैल नाकारा होने लगे थे। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र में टैंकरों के जरिए पानी स्पलाई किया जा रहा था। इस साल बीसलपुर बांध के लबालब होने से अजमेर जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में जलापूर्ति व्यवस्था सुधरने की उम्मीद है।

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