सडकों का निर्माण जरुरी
मार्बल उद्यमियों ने बताया कि मार्बल खनन क्षेत्रों में सरकार की ओर से अगर सीमेन्टेड रोडो का निर्माण करवा दिया जाए तो आवागमन में आने वाली समस्या हल होगी। मार्बल उद्योग और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र में सीमेन्ट बनाने का प्लान्ट, तकनीकी से जुड़ी बड़ी मशीने निर्माण करने का उद्योग, ऑटो मोबाइल्स सहित अन्य छोटे-मोटे उद्योग लगाने की पूरी संभावना हैं। सावर क्षेत्र में वर्तमान में अनेक मार्बल खाने संचालित हैं। उक्त मार्बल खानों में सैकड़ो श्रमिक काम कर रहे हैं। तथा क्षेत्र में उद्योगों में काम करने के लिये कुशल व अकुशल श्रमिक मौजूद हैं। वहीं ग्राम राजपुरा के पास रीको औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हैं। राजपुरा रीको क्षेत्र में अनेक मार्बल ब्लॉक काटने के गैंगसा लग चुके हैं। वहीं कस्बे के केकड़ी रोड पर भी अनेक जगहों पर गैंगसा स्थापित हो गए हैं। उन गैंगसा पर मार्बल ब्लॉको को काटकर व चीरकर मार्बल स्लेब एंव टाइल्स बनाने का कार्य किया जाता हैं। इन पर अनेक श्रमिको को रोजगार मिल रहा हैं। उधर बड़े उद्योग लगाने के पीछे यह भी एक फायदा हैं कि सावर क्षेत्र टोंक, भीलवाड़ा, कोटा, अजमेर, जयपुर आदि शहरों के हाइवे मार्गो से जुड़ा हैं। जिसके कारण उद्योग लगने पर उनमें से होने वाले उत्पादन को बाहर भेजने में कोई परेशानी भी नहीं होगी।
यूरोपियों देशों में जाता है मार्बल
सावर क्षेत्र पास ही स्थित खारी व बनास नदी से सटकर हैं तथा बीसलपुर बांध भी नजदीक हैं। जिसके चलते उद्योग लगने पर पीने के पानी की भी कोई कमी नहीं रहेगी। सावर के मार्बल उद्योग की देश-विदेश में अलग ही पहचान हैं। यहां से मार्बल ब्लॉक किशनगढ़, जयपुर, राजसमन्द, उदयपुर, चितौडग़ढ़ सहित पूरे राज्य और भारत एंव यूरोपियों देशों में जाता हैं। साथ ही सावर क्षेत्र के ग्राम बाजटा क्षेत्र में पत्थर से गिट्टी बनाने का उद्योग भी संचालित हैं। बाजटा क्षेत्र पहाड़ो से अटा पड़ा हैं। अब जरूरत हैं सरकार को सावर में बड़े औद्योगिक समूह में निवेश की। ताकि सावर क्षेत्र में अनेक प्रकार के ओर बड़े उद्योग लगाये जा सके।