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अजमेर

मार्बल उद्योग ने दिलाई सावर को देश-विदेश में पहचान

सत्यनारायण कहार
सावर। सावर क्षेत्र में मार्बल उद्योग के अलावा ओर भी कई बड़े विभिन्न उद्योग लगाने की बहुत संभावना हैं। सावर क्षेत्र में मार्बल खदाने संचालित होने के चलते सावर का नाम प्रदेश सहित देश-विदेश में हुआ हैं। सावर कस्बा भीलवाड़ा-टोंक-केकड़ी-अजमेर-जयपुर हाइवे से जुड़ा हैं। जिसके चलते उक्त क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र को ओर बढ़ावा मिल सकता हैं।

अजमेरApr 24, 2024 / 01:02 am

tarun kashyap

मार्बल उद्योग

मार्बल उद्योग

सत्यनारायण कहार.

प्रदेश सरकार की ओर से राजस्थान में बड़े औद्योगिक समूह निवेश के तहत सावर मार्बल नगरी होने के चलते यहां पर अनेक प्रकार के बड़े उद्योग लगाने की संभावना हैं। सावर सहित क्षेत्र के नाडी, गणेशपुरा, गोविन्दपुरा आदि क्षेत्रो में संचालित मार्बल खदानों में सफेद, ब्राउन, चाइना सहित अनेक प्रकार के मार्बल ब्लॉक का उत्पादन होता हैं। उक्त मार्बल उद्योग के चलते सावर क्षेत्र में अनेक अन्य बड़े उद्योग लगाये जा सकते हैं। केवल जरूरत हैं बड़े उद्योग लगाने में निवेश की। वहीं सावर के मार्बल उद्योग से राज्य सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ो की राजस्व आय की प्राप्ति हो रही हैं। सावर में सहायक खनिज अभियंता का कार्यालय संचालित हैं। जिसके कारण मार्बल उद्यमियों की छोटी-मोटी मार्बल व्यवसाय से सम्बधित समस्याओं का हल यहीं हो जाता हैं। सावर में तहसील कार्यालय के अलावा उपखण्ड कार्यालय व पंचायत समिति कार्यालय संचालित हैं। जिससे मार्बल उद्यमियों को कहीं नहीं जाना पड़ता हैं।

सडकों का निर्माण जरुरी

मार्बल उद्यमियों ने बताया कि मार्बल खनन क्षेत्रों में सरकार की ओर से अगर सीमेन्टेड रोडो का निर्माण करवा दिया जाए तो आवागमन में आने वाली समस्या हल होगी। मार्बल उद्योग और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र में सीमेन्ट बनाने का प्लान्ट, तकनीकी से जुड़ी बड़ी मशीने निर्माण करने का उद्योग, ऑटो मोबाइल्स सहित अन्य छोटे-मोटे उद्योग लगाने की पूरी संभावना हैं। सावर क्षेत्र में वर्तमान में अनेक मार्बल खाने संचालित हैं। उक्त मार्बल खानों में सैकड़ो श्रमिक काम कर रहे हैं। तथा क्षेत्र में उद्योगों में काम करने के लिये कुशल व अकुशल श्रमिक मौजूद हैं। वहीं ग्राम राजपुरा के पास रीको औद्योगिक क्षेत्र स्थापित हैं। राजपुरा रीको क्षेत्र में अनेक मार्बल ब्लॉक काटने के गैंगसा लग चुके हैं। वहीं कस्बे के केकड़ी रोड पर भी अनेक जगहों पर गैंगसा स्थापित हो गए हैं। उन गैंगसा पर मार्बल ब्लॉको को काटकर व चीरकर मार्बल स्लेब एंव टाइल्स बनाने का कार्य किया जाता हैं। इन पर अनेक श्रमिको को रोजगार मिल रहा हैं। उधर बड़े उद्योग लगाने के पीछे यह भी एक फायदा हैं कि सावर क्षेत्र टोंक, भीलवाड़ा, कोटा, अजमेर, जयपुर आदि शहरों के हाइवे मार्गो से जुड़ा हैं। जिसके कारण उद्योग लगने पर उनमें से होने वाले उत्पादन को बाहर भेजने में कोई परेशानी भी नहीं होगी।

यूरोपियों देशों में जाता है मार्बल

सावर क्षेत्र पास ही स्थित खारी व बनास नदी से सटकर हैं तथा बीसलपुर बांध भी नजदीक हैं। जिसके चलते उद्योग लगने पर पीने के पानी की भी कोई कमी नहीं रहेगी। सावर के मार्बल उद्योग की देश-विदेश में अलग ही पहचान हैं। यहां से मार्बल ब्लॉक किशनगढ़, जयपुर, राजसमन्द, उदयपुर, चितौडग़ढ़ सहित पूरे राज्य और भारत एंव यूरोपियों देशों में जाता हैं। साथ ही सावर क्षेत्र के ग्राम बाजटा क्षेत्र में पत्थर से गिट्टी बनाने का उद्योग भी संचालित हैं। बाजटा क्षेत्र पहाड़ो से अटा पड़ा हैं। अब जरूरत हैं सरकार को सावर में बड़े औद्योगिक समूह में निवेश की। ताकि सावर क्षेत्र में अनेक प्रकार के ओर बड़े उद्योग लगाये जा सके।
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