कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने सभी कॉलेज को पत्र भिजवाया था। तत्कालीन संयुक्त निदेशक (आयोजना) डॉ. बी. एस. शर्मा ने पत्र में कहा गया कि विद्यार्थियों को संस्कार, अनुशासन और सन्मार्ग की प्रेरणा देने के लिए महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानंद, ऋषि दयानंद और अन्य महापुरुषों- प्रेरणादायी व्यक्तित्व की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए। जिन कॉलेज में महापुरुषों की प्रतिमा नहीं है वे जनसहयोग से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा लगा सकेंगे। नियमानुसार कॉलेज को जिला कलक्टर की टिप्पणी और मंजूरी लेनी होगी।
भुला बैठे प्रस्ताव को
कॉलेज और निदेशालय सहित छात्रसंघों ने भी प्रस्ताव को भुला दिया। अजमेर में लॉ कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज में महापुरुष की प्रतिमा नहीं है। यहां कॉलेज प्रशासन, छात्रसंघ और निदेशालय ने प्रस्ताव पर दोबारा विचार नहीं किया। अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बन चुकी है। ऐसे में तत्कालीन भाजपा सरकार के प्रस्ताव की अनुपालना होनी मुश्किल है।
कॉलेज और निदेशालय सहित छात्रसंघों ने भी प्रस्ताव को भुला दिया। अजमेर में लॉ कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज में महापुरुष की प्रतिमा नहीं है। यहां कॉलेज प्रशासन, छात्रसंघ और निदेशालय ने प्रस्ताव पर दोबारा विचार नहीं किया। अब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बन चुकी है। ऐसे में तत्कालीन भाजपा सरकार के प्रस्ताव की अनुपालना होनी मुश्किल है।
जीसीए में महाराणा प्रताप की प्रतिमा
एसपीसी-जीसीए में सभागार के समक्ष महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगी हुई है। 90 के दशक में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी के आग्रह पर यह प्रतिमा लगाई गई थी। यहां डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव भी आठ साल से कागजों में कैद है। हालांकि कई कॉलेज परिसर में स्थान की कमी भी बड़ी समस्या है। मूर्ति के लिए पर्याप्त स्थान, भामाशाह अथवा जनसहयोग नहीं मिलना भी बड़ी समस्या है।
एसपीसी-जीसीए में सभागार के समक्ष महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगी हुई है। 90 के दशक में तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी के आग्रह पर यह प्रतिमा लगाई गई थी। यहां डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव भी आठ साल से कागजों में कैद है। हालांकि कई कॉलेज परिसर में स्थान की कमी भी बड़ी समस्या है। मूर्ति के लिए पर्याप्त स्थान, भामाशाह अथवा जनसहयोग नहीं मिलना भी बड़ी समस्या है।