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पुष्कर के प्रसिद्ध मालपुए खाने हों तो चुकाने होंगे 40 रुपए ज्यादा

locationअजमेरPublished: Jul 22, 2019 07:05:11 pm

Submitted by:

baljeet singh

देशी घी की रबड़ी से बने मालपुए तीन सौ साठ से बढ़ाकर चार सौ रुपए प्रति किलो तथा केसर से बने मालपुए खरीदने के लिए अब चार सौ साठ रुपए देने होंगे, व्यापारियों ने दिया दूध महंगा होने का हवाला

Famous Malpua of Pushkar, who was found to be worth forty rupees per k

pushkar ke malpue

पुष्कर. प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ओर से दूध को लेकर दो रुपए के बोनस की घोषणा करने का सीधा असर पुष्कर के मशहूर देशी घी में रबड़ी के बने मीठे मालपुओं की कीमत पर पड़ा है। व्यापारियों ने दूध महंगा होने का हवाला देते हुए रबड़ी के बने मालपुए चालीस रुपए प्रति किलो की दर से बढ़ा दिए गए हैं। अब देशी घी की रबड़ी से बने मालपुए तीन सौ साठ से बढ़ाकर चार सौ रुपए प्रति किलो तथा केसर से बने मालपुए खरीदने के लिए अब चार सौ साठ रुपए चुकाने होंगे।
दुकानदार अंकित जाखेटिया ने पत्रिका को बताया कि मार्च 2017 में बीस रुपए प्रतिकिलो के दाम बढ़ाए गए थे। इससे मालपुए 360 रुपए प्रतिकिलो की दर से बेचे जा रहे थे। किसानों को मार्च में सात फेट के दूध के 41 रुपए प्रतिकिलो के भाव से दिए जाते थे। लेकिन बरसात नहीं होने से चारा महंगा हो गया। वहीं हाल ही में प्रदेश की गहलोत सरकार ने दो रुपए प्रति किलो का बोनस देने की घोषणा कर दी। इससे दूध महंगा हो गया।
अब दूधियों से उसी सात फेट का दूध 54 रुपए प्रति किलो की दर से खरीदना पड़ रहा है।
इन सभी कारणों से चालीस रुपए प्रतिकिलो की दर से भाव बढ़ा दिए गए हैं तथा अब पुष्कर के साधारण चीनी की चाशनी से लबरेज देशी की रबड़ी के मालपुए 360 रुपए प्रतिकिलो से बढ़ाकर चार सौ रुपए प्रति किलो कर दिए गए हैं।
शुद्धता की चैकिंग का झंझट न इनकेम टैक्स का भय

पुष्कर में देशी घी के नाम से बेची जा रही मिठाइयों की शुद्धता को लेकर स्वास्थ्य विभाग लम्बे समय से लापरवाह साबित हुआ है। यही कारण है कि माल्पुअओं व मावे से बनी मिठाइयों में मिलावट को लेकर सेम्पलिंग तक नही की गई है। दुकानदार अपने स्तर पर ही मैदा, दूध, घी, शक्कर मिलाना तय करते हैं। चाशनी से लबरेज मालपुए देशी घी के भाव बेच रहे हैं। वहीं आयकर विभाग की अनदेखी से व्यापारी मनमाने तरीके से बैठकें करके अपने स्तर पर भाव तय कर रहे हैं। सैकड़ों किलो रोजाना मालपुए व मिठाइयों बेचने पर भी एक बार भी सर्वे तक नहीं किया गया है।
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