सरकार ने बेवजह जिले के सभी संगठनों के राज्य कर्मचारी नेताओं को प्रशासन के माध्यम से नोटिस जारी करवाकर असंवैधानिकता का परिचय दिया है। सरकार की दमनात्मक नीति का जवाब पूरे राज्य का कर्मचारी विधानसभा चुनाव में एकजुट होकर देगा। सरकार को कर्मचारियों से टक्कर लेने का परिणाम भुगतना पड़ेगा।
सरकार ने अपने भ्रष्टाचार छुपाने के लिए कर्मचारियों व उनके नेताओं को गिरफ्तार किया है कर्मचारी समय आने पर इसका जवाब देंगें। अजमेर में शान्तिप्रिय आन्दोलनों के चलते भी सरकार की इस नीति से राज्य के 7 लाख कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
प्रधानमंत्री भारत देश के है किसी पार्टी के नहीं जो अजमेर यात्रा के दौरान उन्होंने कर्मचारी संगठनों को व रोडवेज संगठनों को विधिवत जिला प्रशासन से समय मांगने पर भी इन बातों का संज्ञान नहीं लिया।
जारी रहेंगे आन्दोलन कर्मचारियों व कर्मचारी नेताओं ने प्रस्ताव पारित कर यह दोहराया की जब तक राज्य सरकार राज्य के कर्मचारियों से हुए उसके फैसले (निर्णय) आदेशों के रूप में जारी नहीं करती है और राज्य रोडवेज कर्मचारियों/ग्राम सेवक, सेवा परिषद, मंत्रालयिक सेवा परिषद संघ, सहायक कर्मचारी संघ, कानूनगो-पटवार संघ, कृषि पशुपालन, कृषि पर्यवेक्षक संघ, चिकित्सा विभागीय सभी संघों, इंजीनियर्स संघ, निगमों, बोर्डो व महासंघों तीनों की मांगों के निर्णय लागू नहीं करती है, राज्यभर के आन्दोलन जारी रहेंगे।
बैठक में संगठन महासचिव गुलाब भाटी भाटी, दिनेश शर्मा, अनिल कुमार, हरिशंकर रैगर, महावीर रावत-रोडवेज संघ, अनिल कटारिया, एम.एल. यादव प्रदेशाध्यक्ष संयुक्त मोर्चा, उमेश शर्मा पीओ संघ, विशाल वैष्णव ग्रा.से.सं, मुकेश कांकाणी, दयाशंकर शर्मा, भंवर मेहरड़ा ब्यावर मंडल ट्रेड यूनियन, सभी बार एसोसियेशन संघ, ब्राहमण समाज व सर्व समाज, भवन निर्माण कर्मयोगी संघ व विपक्षी पार्टी के सभी लोगों ने भर्तसना कर लोकतंत्र की हत्या करार देकर समर्थन दिया।