यह लोग अपने-अपने दलों में मंझे हुए राजनीतिज्ञ है। सदनों में जनता के पैरोकार भी है। कांग्रेस और भाजपा दोनो ही दलों में इनकी कमी नहीं है। डॉ. श्रीगोपाल बाहेती 1998 में आई अशोक गहलोत की सरकार के दौरान नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष के रूप में सत्ता का सुख भी भोग चुके है। वे तीन बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके है। हालांकि उन्हें जीत केवल एक बार 2003 में पुष्कर से ही मिली। 2008 और 2013 में वे अजमेर उत्तर से चुनाव हार गए। डॉ. बाहेती नियमित रूप से अपने क्लिनिक पर लोगों का उपचार भी करते है।
जनता की समस्याओं का भी निदान करते है। डॉ. राजकुमार जयपाल 1985 में तत्कालीन अजमेर पूर्व सीट से विधायक बने। 2008 में अजमेर दक्षिण से चुनाव हार गए। उन्होंने राजस्थान हॉकी संघ के अध्यक्ष रहते हुए वे खेल प्रशासक के रूप में लम्बी पारी भी खेली।
वर्तमान में उनका नाम दावेदारों में प्रमुखता से लिया जा रहा है। कांग्रेस में डॉ. राकेश सिवासिया का भी काफी सुना जा रहा है। वे भी विधानसभा का टिकिट पाने ने लिए बायोडाटा सौंप ही चुके है। डॉ. सिवासिया क्लिनिक से समय निकाल कर आजकल जयपुर के भी चक्कर
भी काट रहे है। वर्तमान सांसद रघु शर्मा के पास भी डॉक्ट्रेट की उपाधि है। वहीं दक्षिण से निर्दलीय के रूप में डॉ. मयंक शुभम भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर चुके है।
भाजपा की बात की जाए तो यहां मेयर का चुनाव लड़ चुके डॉ. प्रियशील हाड़ा का क्लिनिक दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में है।
भाजपा की बात की जाए तो यहां मेयर का चुनाव लड़ चुके डॉ. प्रियशील हाड़ा का क्लिनिक दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में है।
यहीं से वे अब विधानसभा के टिकिट के दावेदार के रूप में उभरे है। वे मरीजों का इलाज करते-करते विधायक के रूप में जनता की समस्याओं का भी उपचार करना चाहते है। भाजपा से ही डॉ. सुभाष माहेश्वरी पार्षद रह चुके है।
अदालत में मुवक्किलों की तो सदन में रखा जनता का पक्ष
राजनीति में वकीलों की भी लम्बी लाइन है। वर्तमान में राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में लोगों की पैरवी करते है। वहीं राज्यसभा में जनहित के मुद्दे भी उठाते है। वे संगठन में भी सक्रिय है। उनके पास राज्यों का प्रभार भी है। ओंकार सिंह लखावत को वर्तमान में धरोहर प्रोन्नति एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के रूप में मंत्री का दर्जा प्राप्त है। वे पूर्व में राज्यसभा में भी रह चुके है।
राजनीति में वकीलों की भी लम्बी लाइन है। वर्तमान में राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में लोगों की पैरवी करते है। वहीं राज्यसभा में जनहित के मुद्दे भी उठाते है। वे संगठन में भी सक्रिय है। उनके पास राज्यों का प्रभार भी है। ओंकार सिंह लखावत को वर्तमान में धरोहर प्रोन्नति एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के रूप में मंत्री का दर्जा प्राप्त है। वे पूर्व में राज्यसभा में भी रह चुके है।
नगर निगम में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत अजमेर में ही वकालात करते है। वे पूर्व में सभापति भी रह चुके है। अजमेर से पहले मेयर वही थे। उनके गुरु वीर कुमार भी वकील थे। 1990 के दशक में वे वे नगर परिषद के सभापति भी रहे।
अधिवक्ताओं की कांग्रेस में भी कमी नहीं है। किशन मोटवानी कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में प्रदेश में केबिनेट मंत्री रहे। जसराज जयपाल भिनाय से विधानसभा पहुंचे और मंत्री बने। माणकचंद सोगानी तो विधायक, नगर परिषद सभापति और न्यास अध्यक्ष रहे।
शिक्षकों ने भी चखा सत्ता का सांवरलाल जाट ने विधानसभा में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व तो किया ही। प्रदेश की केबिनेट में भी मंत्री रहे। सांसद बनने के बाद दौरान केन्द्र में भी मंत्री रहे। केन्द्र में मंत्री पद से इस्तीफे के बाद उन्हें किसान आयोग का अध्यक्ष बनाकर मंत्री का दर्जा दिया गया।