कॉलेज और विश्वविद्यालयों में नियमित विद्यार्थियों की 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। इससे कम उपस्थिति विद्यार्थियों को परीक्षा में बतौर स्वयंपाठी बैठाने के अलावा राजभवन को सूचना भेजना जरूरी है। इसके बावजूद कॉलेज और विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति पूरी हो जाती है। इसीलिए राज्यपाल कल्याण सिंह ने एक उच्च स्तरीय समिति बनाई। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (तब जोधपुर के जेएनवी यूनिवर्सिटी के कुलपति) ने बायो मेट्रिक प्रणाली से अटेंडेंस कराने की सिफारिश की। राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश भेज दिए।
नहीं हुई शुरुआत
मदस विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कक्षाओं में बायो मेट्रिक अटेंडेंस लागू करने के निर्देश दिए थे। इसके उलट अफसरों ने विद्यार्थियों की एक या दोबार अटेंडेंस, मशीनों की खरीद, डाटा सुरक्षा, सर्वर पर भार और अन्य सवाल पूछ लिए। इसके चलते मामला ठंडा पड़ गया।
मदस विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने कक्षाओं में बायो मेट्रिक अटेंडेंस लागू करने के निर्देश दिए थे। इसके उलट अफसरों ने विद्यार्थियों की एक या दोबार अटेंडेंस, मशीनों की खरीद, डाटा सुरक्षा, सर्वर पर भार और अन्य सवाल पूछ लिए। इसके चलते मामला ठंडा पड़ गया।
निदेशालय-सरकार बेफिक्र
राज्य के सरकारी और निजी कॉलेज में भी बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की अटेंडेंस होनी है। सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय तो बेखबर है। किसी स्तर पर नवीन प्रणाली पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में रजिस्टर में ही विद्यार्थियों की अटेंडेंस हो रही है। यही वजह है, कि प्रतिवर्ष विद्यार्थियों की अटेंडेंस येन-केन पूरी हो जाती है।
राज्य के सरकारी और निजी कॉलेज में भी बायोमेट्रिक प्रणाली से विद्यार्थियों की अटेंडेंस होनी है। सरकार और कॉलेज शिक्षा निदेशालय तो बेखबर है। किसी स्तर पर नवीन प्रणाली पर विचार-विमर्श नहीं हुआ है। सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों में रजिस्टर में ही विद्यार्थियों की अटेंडेंस हो रही है। यही वजह है, कि प्रतिवर्ष विद्यार्थियों की अटेंडेंस येन-केन पूरी हो जाती है।