21 जुलाई को प्रो. विजय श्रीमाली के निधन के चलते विश्वविद्यालय में स्थाई कुलपति का पद रिक्त था। विश्वविद्यालय ने सर्च कमेटी के गठन के बाद 28 अगस्त को कुलपति पद के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे। इसकी अंतिम तिथि 15 सितम्बर और हार्ड कॉपी जमा कराने की तिथि 20 सितम्बर रखी गई। कथित तौर पर विश्वविद्यालय ने कुलपति पद के आवेदन नियमों में फेरबदल भी कर दिया। जबकि 2017 में जारी हुए कुलपति पद के आवेदन में नियम-शर्तें कुछ अलग थी।
यह थी 2017 की शैक्षिक योग्यता कुलपति पद के लिए बीते वर्ष 17 नवम्बर को विज्ञापन जारी हुआ। इसकेअन्तर्गत किसी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में बतौर प्रोफेसर 10 साल का अध्यापन और शोध अनुभव रखने वाले शिक्षाविदों, अथवा शैक्षिक प्रशासनिक संस्थान में कामकाज का अनुभव रखने वालों से आवेदन मांगे गए थे। इसमें साफ तौर पर कहा गया कि शिक्षाविद (अभ्यर्थी) आवेदन की अंतिम तिथि तक 70 साल से कम उम्र के होने चाहिए। इन्हें तीन साल अथवा 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो उसके तहत नियुक्त किया जाएगा।
2018 में कैसे कम हुए तीन साल? कुलपति पद के लिए 28 अगस्त को विज्ञापन जारी हुआ। इसके अन्तर्गत किसी विश्वविद्यालय अथवा कॉलेज में बतौर प्रोफेसर 10 साल का अध्यापन और शोध अनुभव रखने वाले शिक्षाविदों, अथवा शैक्षिक प्रशासनिक संस्थान में कामकाज का अनुभव रखने वालों से आवेदन मांगे गए। इसमें साफ तौर यह भी कहा गया कि शिक्षाविद (अभ्यर्थी) आवेदन की अंतिम तिथि तक 67 साल से कम उम्र के होने चाहिए। इन्हें तीन साल अथवा 70 वर्ष की आयु जो भी पहले हो उसके तहत नियुक्त किया जाएगा। यानी साफ तौर पर विश्वविद्यालय ने अधिकतम आयु 70 से घटाकर 67 कर दी।
किसने दिए आदेश-मंजूरी
देशभर में केंद्रीय/राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति नियम यूजीसी ने तय किए हैं। उन्हीं शैक्षिक-प्रशासनिक मापदंडों के अनुरूप विज्ञापन जारी कर आवेदन लिए जाते हैं। मदस विश्वविद्यालय ने पिछले साल तो यूजीसी के नियमानुसार कुलपति पद के आवेदन मांगे, लेकिन इस साल चुपके से ‘आयु’ फेरबदल कर दिया। जबकि नियम-शर्तों में किसी भी फेरबदल के लिए यूजीसी, केंद्र/राज्य सरकार, संबंधित विश्वविद्यालय की सिंडिकेट अथवा बॉम ही अधिकृत है। पत्रिका ने 19 सितम्बर को प्रकाशित खबर में नियमों में हुए बदलाव और शिक्षकों में नाराजगी का हवाला भी दिया था।
देशभर में केंद्रीय/राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति नियम यूजीसी ने तय किए हैं। उन्हीं शैक्षिक-प्रशासनिक मापदंडों के अनुरूप विज्ञापन जारी कर आवेदन लिए जाते हैं। मदस विश्वविद्यालय ने पिछले साल तो यूजीसी के नियमानुसार कुलपति पद के आवेदन मांगे, लेकिन इस साल चुपके से ‘आयु’ फेरबदल कर दिया। जबकि नियम-शर्तों में किसी भी फेरबदल के लिए यूजीसी, केंद्र/राज्य सरकार, संबंधित विश्वविद्यालय की सिंडिकेट अथवा बॉम ही अधिकृत है। पत्रिका ने 19 सितम्बर को प्रकाशित खबर में नियमों में हुए बदलाव और शिक्षकों में नाराजगी का हवाला भी दिया था।
याचिका में भी यही आपत्ति याचिकाकर्ता लक्ष्मीनारायण बैरवा ने जयनारायण व्यास और महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्ति के योग्यता नियमों में हुए संशोधन को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें बताया गया कि संशोधित नियम यूजीसी की नियम भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 3 अक्टूबर को दोनों विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। इस दौरान सरकार और राजभवन ने 5 अक्टूबर को कुलपतियों की नियुक्ति कर दी। कुलपतियों ने तत्काल पदभार भी संभाल लिया।