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अजमेर

जातरुओं की मनुहार : आओ सा… थाक गिया…थोड़ो करल्यो आराम

– भादव माह में पदयात्रियों के लिए भंडारे की होड़- चौबीस घंटे सेवा सुविधाएं उपलब्ध- रामदेवरा व सुरसुरा तेजाधाम जाने वाले पदयात्रियों की रेलमपेल

अजमेरAug 21, 2019 / 02:28 am

suresh bharti

Bhandare for pedestrians in Bhadav month

जातरुओं की मनुहार : आओ सा… थाक गिया…थोड़ो करल्यो आराम

अजमेर. हमारी संस्कृति भी अजीबोगरीब है। साल के ३६५ दिन पर्व-त्योहार के चलते समय बीतने का पता ही नहीं चलता। सावन-भादव माह में धर्म-कर्म को लेकर श्रद्धालुओं में होड़ सी मची रहती है। कावड़ यात्रा व भोले के जलाभिषेक के बाद अब पदयात्रा को लेकर जातरुओं में खासा उत्साह है। भादव माह में पदयात्रियों के जत्थे तडक़े से देर रात तक भजनों और जयकारों की गूंज के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
रवानगी स्थल से लेकर मुकाम के बीच पदयात्रियों की सेवा के लिए जगह-जगह भंडारे लगे हुए हैं। इस दौरान चाय-नाश्ता, खाना और उपचार की सुविधाएं हैं। पदयात्रियों में थकान है तो पैर धोने के लिए गर्म पानी तैयार है। नहाने-धोने की महिला और पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था है। सिर और पेट दर्द, उल्टी-दस्त, बुखार से लेकर थकान दूर करने वाले टेबलेट व अन्य दवाइयां भी मिलेगी।
अतिथि की तरह मनुहार

भंडारे से कोई जातरू निराश होकर नहीं जा पाए। इसलिए भंडारा संचालक पदयात्रियों व जातरुओं से आग्रह करते देखे जा रहे हैं। कोई कहता है – आओ सा…थाक गिया… थोड़ो आराम करल्यो…चाय-पाणी और नाश्ता तैयार है। थोड़ो सुस्ताल्यो…डील नै आराम मिल जासी…अरे-अरे आओ नी साब…थोड़ो-बोत नाश्तो करल्यो…।
जयपुर से अजमेर रोड के बीच जातरुओं की रेलमपेल है। सडक़ किनारे भंडारे संचालित हैं। किशनगढ़ शहर में भी भंडारे की होड़ सी मची है। इस दौरान जै बाबा री….भलो करसी बाबो…जय बोलो तेजा महाराज की… तेजा थारे पगा उबाणे आऊं रे…जैसे भजनों की गंूज है। भंडारे पर जातरुओं को खाना खिला रहा है तो कोई पैर दबा रहा है। पैर में छाले पड़ गए तो मरहम पट्टी की व्यवस्था है। डीजे पर भजनों और लोकनृत्य की धूम मची है।
पूरे जिले में सैंकड़ों भंडारे

अजमेर जिले के किशनगढ़, ब्यावर, केकड़ी, मसूदा, रूपनगढ़, पुष्कर, अजमेर शहर, भिनाय, बांदनवाड़ा, पीसांगन, अरांई,श्रीनगर व नसीराबाद में जगह-जगह भंडारे संचालित है। सवाईमाधोपुर जिले से दूसरी बार बाबा रामदेव धाम पर पैदल जाने वाले नाहर सिंह के अनुसार रोज हम करीब 6 0 से 70 किलोमीटर पैदल चलते हैं। रात को भण्डारे में आराम करना होता है। तडक़े फिर कारवां आगे बढ़ जाता है। रास्ते में कुछ देर रुकते हैं, लेकिन लम्बा विश्राम रात को ही करना होता है।
भक्ति में रहती शक्ति

पदयात्री राजेश बैरवा के अनुसार भक्ति में शक्ति जरूर होती है। कुछ दिन पहले बाबा रामदेव का नाम लेकर घर से पैदल निकला था। करीब 15 दिन में रामदेवरा पहुंच जाऊंगा। सारी शक्ति बाबा ही दे रहे हैं। सातवीं बार पैदल जा रहा हूं। आगे भी जाता रहूंगा। कालूराम मीणा के अनुसार वह सातवीं बार सवाईमाधोपुर से पैदल रामदेवरा जा रहा है। बाबा रामदेव के जाने के लिए बस इच्छा शक्ति की जरूरत है। बाकी सब व्यवस्था बाबा अपने आप कर देते हैं। कहीं कोई तकलीफ नहीं आती है। भक्ति में शक्ति का यही प्रमाण है।
तडक़े तीन बजे से सक्रिय

रात को रुकने वाले यात्री तडक़े निकल जाते है। भंडारे पर रात तीन बजे से चाय बननी शुरू हो जाती है। सुबह 8 बजे से पहली पंगत लग जाती है। इसके बाद रात तक भट्टी चालू रहती है। पदयात्री भी सुबह थाकन मिटने के बाद आगे की ओर निकल पड़ते हैं।
खुंडियास बाबा रामदेव मंदिर पर आने लगे जातरू

हाशियावास-खुंडियावास बाबा रामदेव मंदिर पर सालाना मेले को लेकर तैयारियां जारी है। यहां अभी से जातरू आने लगे हैं। यहां अजमेर, कोटा, जयपुर, टोंक, सवाईमाधोपुर, कोटा, सीकर, बूंदी, भीलवाड़ा, दोसा, करौली व नागौर जिले के हजारों जातरू आते हैं।
यहां भादव दूज पर विशाल मेला भरेगा। मेले के दिन अधिक भीड़ रहने से कई जातरू पहले ही दर्शन करना चाहते हैं। मंदिर सेवा समिति के कोषाध्यक्ष राजाराम गोयल ने बताया कि मेले को लेकर रोशनी, सुरक्षा, पेयजल, चिकित्सा व सफाई की व्यवस्थाएं की जा रही है। जातरुओं के लिए विशेष परिवहन सेवाओं व सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा गया है।

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