सागर विहार कॉलोनी के पाथ-वे से सटी जमीन पर कुछ यूकेलिपट्स और बबूल के पेड़ लगे हैं। बीच के हिस्से में उथला पानी जमा है। देशी पक्षियों को जमीन का यह हिस्सा सबसे पसंद आया है। पानी में पाए जाने वाले कीट, काई और अन्य पदार्थ प्रवासी पक्षियों का मुख्य भोजन है। यहां सूर्योदय से सूर्यास्त होने तक यहां पक्षियों का जमावड़ा लगा रहता है।
यह रात्रि में बबूल के पेड़ों पर बने घरौंदों में रहते हैं। इतनी बड़ी तादाद में आनसागर झील में भी देशी पक्षियों की प्रजातियां एकसाथ मौजूद नहीं हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां मौजूद
स्पॉट बिल डक, आईबिस, कॉमन मैना, परपल ग्रे हेरॉन, इग्रेट (व्हाइट ग्रे), मूरहेन, मैलार्ड, कॉमन टील, रफ, किंगफिशर, स्पून बिल, स्पॉट बिल्ड डक, नॉर्दन शॉवलर सहित 50 से अधिक प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। पिछले साल गर्मियों में यहां सौ स्पॉटबिल डक, 200 कॉमन मैना और 80 से 100 मूरहेन ने प्रजनन किया है।
बनाएं पक्षियों के आश्रय स्थल सागर विहार कॉलोनी सहित आनासागर झील में बबूल के पेड़ देशी पक्षियों के आश्रय स्थल हैं। इन्हें बनाए रखना चाहिए। आसपास के लोग पेड़ों को काटकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। बबूल के पेड़ काटने पर तुरन्त रोक लगनी चाहिए। नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, वन विभाग और जिला प्रशासन के थोड़े से प्रयासों से यह क्षेत्र संरक्षित हो सकता है।
बन सकती है मिनी बर्ड सेंचुरी आनासागर में कई वर्षों से प्रवासी पक्षियां की आवाजाही होती रही है। 80 अैार 90 के दशक तक झील के आसपास कॉलोनियां नहीं थी। वैशाली नगर, पुष्कर रोड, आनसागर लिंक रोड और आसपास के इलाके में पक्षियों के लिए प्राकृतिक वैटलैंड मौजूद था।
आबादी क्षेत्र बढ़ते ही यह वैटलैंड लगभग खत्म हो गए। हालांकि सरकार ने इस क्षेत्र में वैटलैंड विकसित करने की बात कही है। आनासागर देशी और प्रवासी पक्षियों का उत्तम आश्रय स्थल है। यहां पक्षियों के लिए खाद्य पदार्थ, जलवायु और पेड़-पौधे मौजूद हैं, जो इन्हें पसंद आते हैं। स्थानीय प्रशासन और पर्यावरणविद प्रयास करें तो यह पक्षियों का अहम स्थल और भविष्य का लघु पर्यटन केंद्र बन सकता है।