अजमेर. चूरू जिले के रतनगढ़ और सरदारशहर के बीच मालासर गांव 24 जून की रात को गोलियों की आवाज से गूंज उठा था। अचानक हुई इस गोलीबारी से गांव के लोग सकते में थे। यह कोई यही सोच रहा था कि इतनी गोलियां किस कारण से चलाई जा रही। करीब ढाई घंटे बाद गोलीबारी बंद हुई तो लोगों को पता चला कि दहशत का पर्याय बन चुका आनंदपाल ढेर हो चुका है।
पेशी से वापस लौटते समय हुआ था फरार
आनंदपाल
अजमेर की हाईसिक्योरिटी जेल में बंद था। सितम्बर 2015 में जेल से पेशी के लिए उसे डीडवाना ले जाया गया। डीडवाना में आनंदपाल के लोगों ने मिठाई बांटी। यह मिठाई पुलिस टीम को भी खिला दी। जिससे कुछ पुलिसकर्मियों की तबियत खराब हो गई। पेशी से वापस अजमेर लौटते समय परबतसर के पास आनंदपाल पुलिस की कस्टडी से भाग गया था। उसके भागते ही पुलिस में अफरातफरी फैल गई। भागने के बाद उससे प्रदेश के नागौर, सीकर, चूरू जिले सहित आसपास के राज्यों में फरारी काटी। करीब डेढ साल से ज्यादा समय बाद पुलिस को उसके मालासर के एक मकान में होने की सूचना मिली। जहां उसका एनकाउन्टर हो गया।एनकाउन्टर के बाद प्रदेश में विरोध प्रदर्शन हुए थे। एनकाउन्टर के नौवे दिन नागौर जिले के लाडनूं के पास स्थित गांव में उसके शव का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था।