आतंकवादियों की भाषा न बोलें
नकवी ने कहा कि कांग्रेस की ओर से सबूत मांगे जा रहे है, जो भाषा आतंकवादी बोल रहे हैं, वही भाषा यहां भी कुछ लोग बोल रहे हैं। कांग्रेस अब सवाल करके खुद ही उलझ गई है।
नकवी ने कहा कि कांग्रेस की ओर से सबूत मांगे जा रहे है, जो भाषा आतंकवादी बोल रहे हैं, वही भाषा यहां भी कुछ लोग बोल रहे हैं। कांग्रेस अब सवाल करके खुद ही उलझ गई है।
सवाल : लेकिन एलओसी पर लगातार फायरिंग हो रही है
जवाब : उसका जवाब हमारी सेना दे रही है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आतंकवाद व आतंवादियों के आकाओं को छोडऩे वाले नहीं हैं।
जवाब : उसका जवाब हमारी सेना दे रही है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आतंकवाद व आतंवादियों के आकाओं को छोडऩे वाले नहीं हैं।
सवाल : लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद ही प्रमुख मुद्दा रहेगा
जवाब: राष्ट्रवाद हमारे लिए हमेशा मुद्दा रहा है और रहेगा। इसके अलावा विकास, कामयाबी, गांव, गरीब, किसान और कमजोर तबके के नौजवानों के सशक्तिकरण और विकास के लिए जो कार्य किए गए हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिस मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ काम किया है, वह सभी मुद्दे होंगे।
जवाब: राष्ट्रवाद हमारे लिए हमेशा मुद्दा रहा है और रहेगा। इसके अलावा विकास, कामयाबी, गांव, गरीब, किसान और कमजोर तबके के नौजवानों के सशक्तिकरण और विकास के लिए जो कार्य किए गए हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिस मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति के साथ काम किया है, वह सभी मुद्दे होंगे।
सवाल : लोकसभा चुनाव में भी हिन्दुत्व कार्ड खेला जाएगा
लोकसभा में विकास महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। पहले हमने नरेन्द्र मोदीजी के नाम पर चुनाव लड़ा था, अब उनके काम पर चुनाव लड़ेंगे। पूर्ण प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा केंद्र में फिर से सरकार बनाएगी।
लोकसभा में विकास महत्वपूर्ण मुद्दा होगा। पहले हमने नरेन्द्र मोदीजी के नाम पर चुनाव लड़ा था, अब उनके काम पर चुनाव लड़ेंगे। पूर्ण प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा केंद्र में फिर से सरकार बनाएगी।
सवाल : महागठबंधन से कैसे निपटेंगे
जवाब : यह तो महा मिलावटी गठबंधन है, जिसकी उत्पादन तिथि से पहले ही एक्पायरी डेट दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस के पास कोई आना ही नहीं चाह रहा। दिल्ली का ताजा ताजा उदाहरण सामने है।
जवाब : यह तो महा मिलावटी गठबंधन है, जिसकी उत्पादन तिथि से पहले ही एक्पायरी डेट दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस के पास कोई आना ही नहीं चाह रहा। दिल्ली का ताजा ताजा उदाहरण सामने है।