आरोपी भाग आया भारत
उसके भाई ने फर्म की जिम्मेदारी दिलीप को सौंपकर एटीएम व बैंक खाते भी उसे दे दिए। सितम्बर 2023 से फरवरी 2024 तक वह हिसाब नहीं देख सके। दिलीप ने सारा लेन-देन किया। कंपनी में नुकसान की सूचना पर उसका भाई मार्च 2024 में अफ्रीका पहुंचा तो दिलीप के 28 फरवरी को भारत आने की जानकारी मिली। गया।
59 हजार डालर की धोखाधड़ी
रिपोर्ट में बताया कि मनीष ने बताया कि उसने लोकल फाइनेंस कम्पनी से ब्याज पर स्वयं व अन्य साथियों के नाम से 30 हजार डालर उठाए। कम्पनी की कार गिरवी रख दी। लोकल ग्राहक से हुई डील की रकम भाई के बैंक खाते से 11 हजार 800 डालर दिलीप ने निकाले। नियमित कस्टमर से आने वाली करीब 6 हजार डालर थी। दिलीप ने षड़यंत्रपूर्वक 12 हजार डालर की चोरी होना बताते हुए करीब 59 हजार डालर की धोखाधड़ी की। जैसे ही बात खुली तो आरोपी भारत आ गया।
रकम लौटाने से इनकार
मनीष ने बताया कि दिलीप ने कम्पनी के नाम से लोकल फाइनेंसर से रकम उठाई। कम्पनी को यह भुगतान करना पड़ रहा है। दिलीप एक मार्च को भाई से मुम्बई के होटल में मिला। जब उन्होंने षडयंत्रपूर्वक धोखाधड़ी की बात कही तो रकम लौटाने से इनकार कर दिया। उन्हें पता चला कि एक लाख 50 हजार रुपए दिलीप ने साथियों के नाम से परिजन को भेजे थे। दिलीप ने 59 हजार डालर की धोखाधड़ी के साथ सहकर्मी को धमका कर रकम हड़प ली।