जिसमे २० से ३० वर्ष की आयु के २१ मरीज निकले। इसी तरह से ३० से ४० के बीच के चालीस, ४० से ५० वर्ष की आयु के बीच के ११५, ५० से ६० के बीच के ४१३ और ६० से अधिक आयु के ६११ मरीज सामने आए। डॉ. नायक ने बताया कि आज के जमाने में अनियमित खान-पान से यह समस्या बढ़ी है। महिला हो या पुरुष दोनों में ही यह खतरा बढ़ा है।
अधिकांश भारतीयों में जीवनशैली के कारण धमनियों में अवरोध उत्पन्न होने लगा है। दस वर्ष पहले इस तरह के युवा मरीज बहुत कम थे। कुछ पहलुओं पर ध्यान दिया जाए तो इस खतरे को टाला भी जा सकता है। आज के जमाने में लोग स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने में आनाकानी करते हैं। व्यायाम का अभाव तनाव, जंक फूड, मोटापा तथा धूम्रपान भी इस तरह के रोगों का कारक है।
ऐसे ८३ फीसदी तक कम किया जा सकता खतरा :
डॉ. नायक ने सलाह के तौर पर कहा कि प्रतिदिन सात घंटे नींद लेने से हृदय का खतरा कम होता है। कसरत व अन्य इसी तरह की गतिविधियों को करने से हृदय रोग के खतरे को ८३ फीसदी तक कम किया जा सकता है।
ताजा फल, सब्जी, दलहन का भरपूर सेवन किया जाना चाहिए। लोंग, लहसण, अदरक, तुलसी के पत्तों का सेवन भी लाभप्रद हैं। उन्होंने आशंका जताई कि वर्ष २०३० तक देश में इस तरह के रोगों के पीछ ६.२ ट्रिलियन डॉलर खर्च आ सकता है।देश में हर तीन महिलाओं में से एक की मौत हृदय संबंधित बीमारियों या फिर स्ट्रॉक से होती हैं।