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गुजरात में आरएसएस के वरिष्ठतम प्रचारक भास्करराव का निधन

locationअहमदाबादPublished: Dec 09, 2018 11:53:31 pm

Submitted by:

Rajesh Bhatnagar

आज दोपहर 2 बजे तक अंतिम दर्शन, ढाई बजे अंतिम यात्रा

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गुजरात में आरएसएस के वरिष्ठतम प्रचारक भास्करराव का निधन

अहमदाबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गुजरात में वरिष्ठतम प्रचारक भास्करराव दामले का यहां सिविल अस्पताल में शनिवार देर रात निधन हो गया, वे 96 वर्ष के थे। यहां कांकरिया क्षेत्र स्थित आरएसएस के गुजरात प्रांत कार्यालय ‘कर्णावती माधव सदन’ में सोमवार सवेरे 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक उनका शव अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। वहां से दोपहर ढाई बजे उनकी अंतिम यात्रा वीएस श्मशानगृह के लिए रवाना होगी, वहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मूल महाराष्ट्र के नागपुर में 9 जुलाई 1923 को जन्मे भास्करराव वर्ष 1936-37 में आरएसएस के स्वयंसेवक बने। वे वर्ष 1942 में हिन्द छोड़ो आंदोलन के समय आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ की अपील पर मात्र 19 वर्ष की आयु में देश सेवा के लिए नागपुर से अपना परिवार छोडक़र आरएसएस के प्रचारक बने।
दक्षिण भारत में आरएसएस के कार्य विस्तार के लिए केरल व तमिलनाडु के अलावा दिल्ली में प्रचारक रहने के बाद वर्ष 1952 में उन्हें गुजरात में वडोदरा विभाग का विभाग प्रचारक बनाया गया। तब से वे गुजरात में ही रहे। वे वर्ष 1957 से 1963 तक वे सौराष्ट्र-कच्छ, वर्र्ष 1967 से 1972 तक भावनगर विभाग, वर्ष 1972 से 1977 तक कर्णावती विभग के प्रचारक रहे।
वर्ष 1977 में उन्हें गुजरात में वनवासी कल्याण आश्रम की गुजरात इकाई के कार्य विस्तार के लिए भेजा गया। वर्ष 1987 से 2012 तक वे आरएसएस के गुजरात प्रांत की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। इसके बाद वर्ष 2012 में वे आरएसएस के गुजरात प्रांत के प्रचारक मनोनीत किए गए।
वे गुजरात प्रांत में आरएसएस के अनुषांगिक संगठन पूर्व सैनिक सेवा परिषद, लघु उद्योग भारती के मार्गदर्शक रहे। देश की स्वतंत्रता के कार्य में अपना योगदान देने वाले भास्करराव ने आरएसएस के कार्य विस्तार में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया। आरएसएस पर तीन बार लगे प्रतिबंधों के भी वे साक्षी रहे। उन्होंने 78 वर्ष तक आरएसएस के प्रचारक के तौर पर कार्य किया।
स्वतंत्रता के बाद दिल्ली में उपवास के दौरान गांधीजी की सुरक्षा के लिए तैनात आरएसएस के स्वयंसेवकों के प्रभारी रहे :
जानकारी के अनुसार स्वतंत्रता के बाद दिल्ली में उपवास पर बैठे महात्मा गांधी की सुरक्षा के लिए कांग्रेस के तत्कालीन जिलाध्यक्ष ने दिल्ली में आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत की और गांधीजी की सुरक्षा को जरूरी बताते हुए कहा था कि आरएसएस के सिवाय अन्य कोई संगठन गांधीजी की सुरक्षा नहीं कर सकता। उस समय गांधीजी की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी आरएसएस के स्वयंसेवकों पर थी, उनके प्रभारी भास्करराव दामले थे। उस समय दिल्ली की शाखा के गटनायकों के एकत्रीकरण के समय मुख्य शिक्षक की भूमिका भास्करराव दामले ने निभाई थी। उस कार्यक्रम में गांधीजी का मार्गदर्शन मिलने वाला था। कार्यक्रम में सांघिक गीत के दौरान स्वयंसेवकों के साथ गांधीजी भी आनंदित अवस्था में थे। उस कार्यक्रम में गांधीजी ने कहा था ‘वे भी हिन्दू हैं, वे भी सनातनी हिन्दू हैं’।
शाखा में नियमितता
शारीरिक तौर पर अस्वस्थ रहने के कारण वे खड़े नहीं रह सकते थे, चल-फिर नहीं सकते थे लेकिन रात को सोने से पहले वे अगले दिन सवेरे उन्हें शाखा में ले जाने के लिए स्वयंसेवकों को याद दिलाते थे। वे भोजन से पहले भोजनमंत्र बोलना नहीं भूलते थे। वे नियमित तौर पर अपनी क्षमता के अनुसार व्यायाय और ध्यान भी करते थे।
दिनचर्या का करते थे अनुसरण
करीब 56 वर्ष से उनकी देखभाल में जुड़े रहे स्वयंसेवकों में से एक सज्जनभाई ओझा से वे उनके कमरे की दीवार पर दिनचर्या लिखवाते थे और बार-बार उसके बारे में पूछकर दिनचर्या का पालन भी करते थे। वे 96 वर्ष की उम्र में भी संभव कार्य स्वयं करते थे।
स्वयंसेवकों की चिंता करते थे
उनसे मुलाकात के लिए जाने वाले प्रत्येक स्वयंसेवक के साथ वे आत्मीयतापूर्वक बातचीत करते थे। स्वयंसेवक, उसके परिवार, शाखा में नियमितता आदि के बारे में वे पूछताछ भी करते थे। उन्हें आरएसएस के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से मौजूदा सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का सान्निध्य प्राप्त हुआ। पिछली 7 दिसंबर की रात 11 बजे श्वास लेने में परेशानी होने पर उन्हें एंबुलेंस से सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां उन्होंने शनिवार देर रात करीब साढ़े 10 बजे अंतिम श्वास ली।
पीएम, सीएम ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विट में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक भास्करराव दामले के निधन पर शोक जताते हुए लिखा कि वर्षों पहले प्रचारक जीवन की शुरुआत करने वाले दामलेजी लंबे समय से गुजरात में सक्रिय रहे। गुजरात में आरएसएस के कार्य विस्तार में दामलेजी का अमूल्य योगदान है। वर्षों तक उनके साथ कार्य करने का उन्हें अवसर मिला और काफी सीखने को भी मिला। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी व महापौर बीजलबेन पटेल ने भी अपने ट्विट में लिखा कि आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक भास्करराव दामले के निधन से उन्हें अत्यंत दुख हुआ है।
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