कथीरिया की ओर से वकील रफीक लोखंडवाला ने दलील दी थी कि आरोपी के खिलाफ राजद्रोह का मामला राजनीतिक प्रेरित है। इस मामले में अन्य आरोपी पहले से ही जमानत पर हैं, इसलिए याचिकाकर्ता को भी जमानत दी जानी चाहिए।
राज्य सरकार ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किया था। राज्य सरकार की ओर से यह कहा गया था कि आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं जिसमें सरकार के खिलाफ युद्ध करने जैसे प्रयास भी शामिल हैं। यह भी कहा गया था कि कथीरिया ने अगस्त 2005 में हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार महारैली कार्यक्रम के बाद राज्यभर में भडक़ी हिंसा में अहम भूमिका निभाई थी।
इससे पहले गत सितम्बर महीने में निचली अदालत ने कथीरिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने अगस्त 2015 में पाटीदार महारैली के बाद राज्यभर में भडक़ी हिंसक घटनाओं को लेकर राजद्रोह के मामले में गत अगस्त महीने में कथीरिया को गिरफ्तार किया था।
इस मामले में क्राइम ब्रांच ने हार्दिक पटेल व अन्य आरोपियों के खिलाफ राजद्रोह व अन्य अपराधों के तहत शिकायत दर्ज की थी। इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपी हार्दिक पटेल, दिनेश बांभणिया, चिराग पटेल जमानत पर हैं। केतन पटेल गवाह बन चुका है वहीं अमरीश पटेल फरार बताया जाता है।