पोरबंदर, द्वारका, वेरावल व भावनगर में भी प्लांट बनेगा रुपाणी ने कहा कि स्थानीय लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर गुजरात में विभिन्न क्षमता के अन्य डिसेलिनेशन प्लांट भी स्थापित किए जाएंंगे। राज्य सरकार के जोडिया के अलावा पोरबंदर, द्वारका, वेरावल व घोघा (भावनगर) में भी समुद्र के खारे पानी को पीने लायक पानी का संयंत्र स्थापित करने की योजना है।
कच्छ व साबरकांठा जैसी सीमाई जिलों में भी छोटी क्षमता के प्लांट स्थापित होंगे। उद्योगों के पानी की जरूरतों को देखते हुए दहेज व गांधीधाम में भी जीआईड़ीसी की ओर से यह संयंत्र स्थापित की जाएगी।
कच्छ व साबरकांठा जैसी सीमाई जिलों में भी छोटी क्षमता के प्लांट स्थापित होंगे। उद्योगों के पानी की जरूरतों को देखते हुए दहेज व गांधीधाम में भी जीआईड़ीसी की ओर से यह संयंत्र स्थापित की जाएगी।
दैनिक 100 एमएलडी अर्थात 10 करोड़ लीटर क्षमता के सी-वाटर डिसेलिनेशन प्लांट के तहत समुद्र से प्लांट तक कनेक्टिंग पाइपलाइन, पंपिंग मशीनरी, 20 एमएल (2 करोड़ लीटर) क्षमता का आरसीसी संप बनाया जाएगा। गुजरात के समुद्रतट पर उपलब्ध पानी में नमक-क्षार (टीडीएस) की मात्रा 35,000 पीपीएम से लेकर 60,000 पीपीएम तक है। इसे मीठा बनाने के लिए रिवर्स ऑस्मोसिस प्रणाली का उपयोग कर समुद्र के खारे पानी को इन्टेक से पाइपलाइन के जरिए प्लांट तक लाया जाएगा। पानी की अशुद्धि दूर करने के लिए पहले उसे फिल्टर किया जाएगा। पानी की पीएच वेल्यू को बरकरार रखने के लिए रासायनिक प्रक्रिया भी की जाएगी। पानी की गंदगी और भारी अशुद्धियों को दूर करने के लिए सेटलमेंट टैंक में रख सेंड फिल्टर्स से गुजारने के बाद उसे रिवर्स ऑस्मोसिस मेम्ब्रेन (थीम फिल्म एसिटेट मेम्ब्रेन-विशेष प्रकार की झिल्ली) से विशिष्ट दबाव में गुजारा जाएगा। इससे पानी में घुले सभी प्रकार के नमक-क्षार दूर हो जाएंगे। इस तरह, डिमिनरलाइज हुए पानी में मिनरलाइजेशन करने के लिए केल्शियम और मैग्नीशियम जैसे विभिन्न पोषक तत्व मिलाए जाएंगे। इससे पीने योग्य 500 से कम टीडीएस वाला पानी बनेगा जिसे शुद्ध पानी की टंकी में इक_ा किया जाएगा।