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अमीर देशों के विद्यार्थियों को आकर्षित कर रहा पीडीपीयू का ‘स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम ‘

locationअहमदाबादPublished: Jun 20, 2019 10:22:27 pm

इस साल से देश के अन्य शहर की संस्कृति, विरासत को भी जोड़ा, 2020 से मुंबई, चेन्नई भी होंगे शामिल, अमरीका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के सौ विद्यार्थी-प्राध्यापकों ने की शिरकत

Student visit Modhera

अमीर देशों के विद्यार्थियों को आकर्षित कर रहा पीडीपीयू का ‘स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम ‘

नगेन्द्र सिंह

अहमदाबाद. गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित पंडित दीन दयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (पीडीपीयू) में चलने वाला अल्पकालिक कोर्स (शॉर्ट टर्म प्रोग्राम) ‘स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम ‘ विकसित देशों के विद्यार्थियों को आकर्षित कर रहा है।
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तीन सालों में सौ विद्यार्थी एवं प्राध्यापकों ने इस कोर्स में शिरकत की है। जिसमें ऑस्ट्रेलिया के पर्थ की एडिथ कॉवन यूनिवर्सिटी (ईसीयू), अमरीका के कनेक्टिकट में स्थित सेक्रेड हार्ट यूनिवर्सिटी एवं टैक्सास स्थित लेमर यूनिवर्सिटी, कनाडा के ओटावा की कार्लेटन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी एवं प्राध्यापक शामिल हैं।
वर्ष २०१६ से पीडीपीयू में दो से छह सप्ताह का स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम चल रहा है। २०१८ में इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए इसे हर साल चलाने का निर्णय किया। इससे पहले वर्ष २०१३ से इसे अलग नाम से चलाया जा रहा था। जो हर दो साल में आयोजित होता था। इसके अलावा वर्ष २०१९ में भारत के अन्य शहरों दिल्ली, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद (प्रयागराज), हैदराबाद, बैंग्लुरू की सांस्कृति, एतिहासिक विरासत, खानपान की समझ से जुड़े अध्ययन टूर को भी शामिल किया। जिसमें जेएनयू, बीएचयू, ताजमहल, गंगा आरती, अहमदाबाद हैरिटेज वॉक, अडालज की वाव, मोढेरा सूर्य मंदिर, लोथल सरीखे स्थलों का दौरा कराया जाता है। आगामी वर्ष २०२० में मुंबई और चेन्नई सरीखे शहरों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
वर्ष २०१८ से भारत सरकार ने भी भारत में शिक्षा एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने आने वाले विदेशी विद्यार्थियों की मौजूदा संख्या ४७ हजार को २०२२ तक बढ़ाकर डेढ़ से दो लाख करने के लक्ष्य को निर्धारित करते हुए ‘स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम ‘ की शुरूआत की है। जिसके लिए दो सालों में १५० करोड़ रुपए इसे बढ़ावा देने से जुड़े कार्यक्रमों पर खर्च किए जाएंगे।
चुनौतियों से निपटने की भारतीय कला जानने के इच्छुक हैं सभी
भारत संस्कृति, भाषा, बोली, खानपान में विविधता के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण स्थल है। भारत में व्यापार की चुनौतियां भी हटकर हैं। इसे साथ रखते हुए भी भारत की आगे बढऩे की कला को जानने के लिए आज पूरा विश्व इच्छुक है। जिसमें यह अल्पकालिक कोर्स एक ब्रिज की भूमिका निभा रहा है। जिस कारण इसकी मांग और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है।
-डॉ. निगम दवे, अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय संबंध कार्यालय, पीडीपीयू
१८ से लेकर ६० साल तक के विदेशी विद्यार्थी
इस कोर्स में विकासशील नहीं बल्कि अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा सरीखे विकसित देशों के विद्यार्थी-प्रोफेसर, प्रोफेशनल, अधिकारी शिरकत करते हैं। 18 से लेकर ६० साल की आयु के विद्यार्थी-प्रोफेशनल आए हैं। शॉर्ट टर्म कोर्स होने के बावजूद भी तीन क्रेडिट का यह कोर्स है। इसमें भारतीय मनोविज्ञान, भारतीय की विरासत, संस्कृति, आर्थिक, राजनैतिक परिदृश्य, प्रशासन, तेल, गैस क्षेत्र, डूइंग बिजनेस इन इंडिया सरीखे 17 मुद्दों का अनुभव-टूर आधारित ज्ञान दिया जाता है। संबंधित क्षेत्र के विषय विशेषज्ञ, अधिकारी लेक्चर लेते हैं। जिससे मांग बढ़ी और कोर्स को दो साल की जगह 2018 से हर साल करना पड़ा। इस साल से गुजरात के बाहर के अन्य शहरों का अध्ययन टूर भी शामिल किया है।
प्रो.रितु शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ लिबरल स्टडी, पीडीपीयू
ये है सालाना स्थिति
साल विद्यार्थी-प्रोफेसर संख्या देश
२०१६ – १३ – ऑस्ट्रेलिया
२०१८ -३९ -ऑस्ट्रेलिया, अमरीका
२०१९ -४९- ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा

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