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गुजरात ओबीसी आयोग ने आरक्षण के लिए पास प्रतिनिधियों से की चर्चा

locationअहमदाबादPublished: Nov 29, 2018 10:04:14 pm

पाटीदारों की अलग-अलग उपजातियों का क्षेत्रवार मांगा ब्यौरा

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गुजरात ओबीसी आयोग ने आरक्षण के लिए पास प्रतिनिधियों से की चर्चा

गांधीनगर/अहमदाबाद. महाराष्ट्र सरकार की ओर से मराठाओं को ओबीसी आरक्षण देने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की खबर के बीच गुरुवार को गुजरात ओबीसी आयोग ने पास की मांग पर पाटीदारों को आरक्षण देने के लिए सर्वे करने के उद्देश्य से जरूरी जानकारी जुटाने के लिए बैठक की। आयोग के आमंत्रण पर पास के संयोजकों की एक टीम ने आयोग से करीब एक घंटे तक मुलाकात और चर्चा की।
आयोग से मुलाकात कर निकले पास संयोजक मनोज पनारा ने संवाददाताओं को बताया कि पाटीदारों को ओबीसी आरक्षण देने के मामले में जरूरी सर्वे कराने को लेकर सकारात्मक चर्चा हुई।
आयोग ने प्रमुख रूप से पाटीदारों की गुजरात में विभिन्न उपजातियों और उनके राज्य में क्षेत्रवार उपस्थिति का ब्यौरा मांगा है और उस पर चर्चा भी हुई। उन्होंने जाति के अलग-अलग क्षेत्रों में कितने मतदाता हैं। उनके रीति-रिवाज और वह किस उपनाम से पहचानी जाती हैं। वे किस व्यवसाय से जुड़े हैं। उस मुद्दे पर चर्चा की। इस बारे में आगामी समय में फिर मुलाकात होगी।
ये है स्पष्ट मांग :
पनारा ने कहा कि हमारी स्पष्ट मांग है कि पाटीदारों को ओबीसी में आरक्षण दिया जाए। पाटीदारों को शैक्षणिक और रोजगार के लिहाज से काफी समस्या आ रही है। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की मार्गदर्शिका के अनुसार इस दिशा में सर्वे की प्रक्रिया के लिए जरूरी काम और जानकारी जुटानी शुरू की है। उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम आएंगे। जहां तक आंदोलन की बात है तो आंदोलन में शहीद हुए परिजनों को न्याय दिलाने, जेल में बंद अल्पेश कथीरिया की रिहाई व अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन जारी रहेगा।

राजपूतों ने भी की आयोग से ओबीसी आरक्षण के सर्वे की मांग :
पाटीदारों की तरह ही राजपूत समाज की ओर से भी गुजरात के राजपूतों को ओबीसी आरक्षण देने एवं उनका सर्वे कराने की मांग गुजरात ओबीसी आयोग से की गई है। गांधीनगर जिला राजपूत समाज सेवा ट्रस्ट के बैनर तले गुजरात के समग्र राजपूत गरारिया समाज के संगठन की ओर से ओबीसी में आरक्षण की मांग की गई है। इसमें समाज की ओर से कहा गया है कि गुजरात राज्य में उनकी ८ प्रतिशत आबादी है। जो आज की स्थिति में सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी है। रुढिचुस्त होने के चलते शिक्षा का प्रमाण भी काफी नीचा है। समाज के लिए महाराष्ट्र की तर्ज पर १० प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई है।

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