प्रति दिन आठ घंटे पति कराते हैं अभ्यास
दिव्यांगों के हित में काम करने वाली संस्था ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन (बीपीए) में वर्ष २००९ में आईटीआई में प्रवेश लिया था। उस दौरान दिव्यांगों के लिए होने वाले खेल में से उन्होंने पेरा टेबल टेनिस को चुना था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस खेल के प्रति उन्हें ऐसी रुची है कि प्रतिदिन सात से आठ घंटे तक प्रेक्टिस करती हैं। ३१ वर्षीय सोनल के पति रमेश चौधरी प्रेक्टिस में उनका साथ देते हैं। रमेश भी दोनों पैरों से विकलांग हैं। पालनपुर के रहने वाले चौधरी पैरा टेबल टेनिस में उनके साथ ऑलम्कि गेम्स में (पुरुष) भारत का नेतृत्व करेंगे।
बीपीए से मिला प्लेटफार्म
यदि बीपीए में प्रवेश नहीं लिया होता तो संभवत: उन्हें यह मुकाम नहीं मिलता। सत्रह देशों में खेलने का मौका मिला है वह बीपीए की ही देन है। यही कारण है कि अब भी प्रेक्टिस बीपीए परिसर में ही रहकर की जाती है।
-सोनल पटेल, पेरा टेबल टेनिस खिलाड़ी
दिव्यांगों के प्रति बदले सोच
आमतौर पर समाज में दिव्यांगों के प्रति ऐसी सोच होती है कि दोनों पैरों से, हाथों से या नेत्रों से विकलांग लोग आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यदि ऐसी सोच के बजाए समाज उनका आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करे तो काफी बदलाव आ सकता है। आज बीपीए में कई ऐसे लोग हैं जो दिव्यांग होने के बावजूद बहुत आगे निकल गए हैं।
-डॉ. भूषण पुनानी, निदेशक बीपीए