इसलिए इस लडक़े से उनके घर का कब्जा वापस दिलवाए और इसे घर से बाहर भेजा जाए। वे दोनों अपने लडक़े के साथ किसी भी परिस्थिति में नहीं रह सकते। माता-पिता की गुहार सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश में पुत्र से यह कहा कि घर के एक हिस्से में उसके माता-पिता रहेंगे और दूसरे हिस्से में पुत्र रहेगा।
वहीं पुत्र को यह आश्वासन देना होगा कि वह अपने माता-पिता के साथ किसी तरह की जबरदस्ती नहीं करे और उनके साथ मार-पीट नहीं करे। इसके अलावा माता-पिता के भरणपोषण के लिए पुत्र को हर महीने पांच हजार रुपए चुकाना होगा।
गत वर्ष खेड़ा के डिप्टी कलक्टर ने यह आदेश दिया था कि वृद्ध माता-पिता को घर का कब्जा दिया जाए और पुत्र अपने माता-पिता को भरण-पोषण के रूप में हर महीना पांच हजार रुपए चुकाए। इस आदेश के खिलाफ पुत्र ने कलक्टर के समक्ष चुनौती दी। इस पर कलक्टर ने भरण-पोषण की रकम घटाकर 2000 रुपए किया था और माता-पिता के पास से कब्जा ले लिया था। इस आदेश के खिलाफ माता-पिता ने उच्च न्याायालय में गुहार लगाई।
ट्रांसपोर्टर नहीं मागेंगे दोनों तरफ का जीएसटी नंबर ट्रांसपोर्टर्स से परेशान व्यापारियों की समस्या दूर हो गई है। कई ट्रांसपोर्टर जानकारी के अभाव में दोनों तरफ की पार्टियों का जीएसटी नंबर मांग रहे थे, जिससे छोटे व्यापारियों के लिए माल भेजना मुश्किल हो गया था। इस बारे में सोमवार को मीटिंग में जीएसटी अधिकारियों ने ट्रांसपोर्टर्स को जीएसटी के नियम समझाए तो वह मान गए। व्यापारियों की शिकायत थी कि यहां से माल भेजते समय कई ट्रांसपोर्टर माल बेचने वाली और माल खरीदने वाली पार्टी का जीएसटी नंबर मांग रहे थे।
ऐसे में 20 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाले छोटे व्यापारियों के लिए माल भेजना मुश्किल हो गया था। जीएसटी के नियम के अनुसार ऐसे संयोग में माल भेजने वाले व्यापारी को जीएसटी चुकाना होता है। स्थानीय व्यापारी जीएसटी चुका कर माल भेजते थे, तब भी कई ट्रांसपोर्टर नियमों की जानकारी नहीं होने से दोनों ओर का जीएसटी नंबर मांगते थे।