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अहमदाबाद

कच्छ की प्राचीन ब्लॉक प्रिंट कला अजरख को मिला जीआई टैग

कच्छ की 500 साल पुरानी अजरख हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग की कला को जीआई टैग मिला है। अजरख कला के कारीगर पिछले 10 वर्षों से जीआई टैग के लिए प्रयास कर रहे हैं।

जीआई टैग मिलने से कच्छी हस्तशिल्प को देश-दुनिया में नई पहचान मिली है।

अजरखपुर हैंडीक्राफ्ट डेवलपमेंट एसोसिएशन को जीआई रजिस्ट्रार द्वारा अहमदाबाद में सम्मानित भी किया गया।

अहमदाबादApr 30, 2024 / 12:55 pm

Khushi Sharma

कच्छ की 500 साल पुरानी कला अजरख को जीआई टैग मिला।

कच्छ की 500 साल पुरानी कला अजरख को जीआई टैग
मिला।

पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य में अलग-अलग प्रकार के वस्त्रों के उत्पादन का एक लंबा इतिहास है। यह विरासत पीढ़ियों से चली आ रही है। ऐसी ही एक सालों पुरानी कला अजरख है जो कि काफी प्रसिद्ध है। अजरख ब्लॉक प्रिंट कला कच्छ इलाके की एक प्राचीन कला है।
 कच्छ की भूमि का अर्थ है विश्व स्तर पर प्रसिद्ध कारीगरों की भूमि। कच्छ में विभिन्न कलाओं से जुड़े कारीगर हैं। जिन्होंने देश-विदेश में प्रसिद्धि हासिल की है। कच्छ का ऐसा ही अजरख ब्लॉक प्रिंट शिल्प आज विश्व स्तर पर जाना जाता है।
कच्छ में 500 वर्षों से अजरख कला

500 साल से यह अजरख कला कच्छ में की जा रही है। वर्ष 1634 में कच्छ के राजा भारमलजी के निमंत्रण पर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के कारीगर कच्छ में बस गये। राजा राव भारमलजी शिल्प कला को कच्छ के विभिन्न हस्तशिल्पों में बहुत रुचि थी और उन्होंने इसे अपने राज्य में लाने के लिए सिंध के कारीगरों को बुलाया और आश्रय दिया। अजरख ब्लॉक प्रिंट कला मूल रूप से सिंध, पाकिस्तान से है। कच्छ के खत्री परिवारों ने प्राकृतिक डाई का काम करने के बाद कला के नाम पर भुज भचाऊ मार्ग पर अजरखपुर गाँव बसाया।
अजरख की खासियत

अजरख कलात्मकता और हैंड-ब्लॉक प्रिंटिंग का एक अनोखा रूप है। गुजरात के सबसे प्रसिद्ध कपड़ा शिल्पों में से एक अजरख है, जिसका अभ्यास सिंध, बाड़मेर और कच्छ क्षेत्र जैसे अजरखपुर गांव में किया जाता है। यह काफी वर्षों पुरानी कला है। कच्छ में करीब 200 कारखाने हैं और अजरख कपड़ा शिल्प से जुड़े लगभग 1500 से 2000 कारीगर हैं। इसकी खास बात यह है कि अजरख प्रिंट में इस्तेमाल किए जाने वाले रंग नेचुरल होते हैं। इसके कलर को तैयार करने के लिए सब्जी, मिट्टी और चूने के पेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके ही कारण छपाई में काफी मेहनत और समय लगता है। नवीन डिजाइन बनाने के लिए लकड़ी के ब्लॉक का उपयोग करके कपड़े पर मुद्रित किया जाता है। खास बात यह है कि अजरख कला में कपड़े को दोनों तरफ प्रिंट किया जाता है।
अजरख कला को जीआई टैग मिला

देश-दुनिया में नाम कमा चुके कच्छी अजरख को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) यानी भौगोलिक स्थिति की मान्यता मिल चुकी है। भारत की लुप्त होती ब्लॉक प्रिंट शिल्प को अब जीआई टैग मिलने के बाद इसने वैश्विक ख्याति मिली। इससे कला के कारीगरों की आय बढ़ेगी। साथ ही बाजारों में इस कला की नकल भी बढ़ती जा रही थी जिसके लिए कारीगरों ने इस कला को जीआई टैग के लिए आवेदन किया था उसे भी रोका जा सकेगा। यह खबर मिलते ही कारीगरों में फैली खुशी की लहर।  
पिछले 10 साल से वे जीआई टैग मान्यता पाने के लिए प्रयास कर रहे थे। अजरखपुर हस्तशिल्प विकास संघ के सदस्यों को अहमदाबाद में जीआई रजिस्ट्रार उन्नत पंडित ने सम्मानित भी किया।  

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