राज्य सरकार ने अधिसूचना का बचाव करते हुए कह चुकी है कि यह अधिसूचना मनमाना या विरोधाभासी नहीं है। यह अधिसूचना लोगों की शांति और कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगडऩे से रोकने के लिए है। यह लोगों के हित के लिए जारी की गई है। इस धारा का इस्तेमाल संभावित खतरे और किसी तरह की गड़बड़ी के मामलों में किया जाता है। हलफनामे में यह कहा ]गया कि यह अधिसूचना आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत मनमाना या विरोधाभासी नहीं है। गत 28 अगस्त की अधिसूचना अहमदाबाद के ग्रीनवुड इलाके, निकोल के साथ-साथ कई जगहों पर अनिच्छनीय घटना नहीं घटने देने को लेकर जरूरी कदम उठाए जाने और एहतियान ध्यान में रखकर जारी की गई है। जवाब में कहा गया कि राज्य के अहमदाबाद व सूरत इलाके में पहले भी कानून व व्यवस्था की परिस्थिति बिगड़ चुकी है। इसमें 15 जनों की मौत हो चुकी है और 537 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। साथ ही इसमें 44.5 करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
उल्लेखनीय है कि गत 25 अगस्त से पाटीदारों को ओबीसी में आरक्षण दिलाने और राज्य के किसानों का कर्ज माफ करने की मांग के साथ अहमदाबाद शहर के पास ग्रीनवुड रिसोर्ट स्थित अपने घर पर उपवास पर बैठे हार्दिक पटेल ने 19वें दिन अपना अनशन तोड़ दिया।