भारत में वर्ष २०२९ तक १० हजार सीएनजी स्टेशन और २.५० करोड़ सीएनजी वाहन होने का अनुमान है। इसके अलावा देश में सौ स्मार्ट सिटी विकसित हो रहे हैं। जिसे देखते हुए सीजीडी क्षेत्र और सीएनजी-पीएनजी की मांग बढ़ेगी। जिसे पूरा करने के लिए फिलहाल स्थिति दिखाई नहीं देती। ऐसे में सीबीजी का उपयोग मददरूप हो सकता है।
ऐसे में सीएनजी, पीएनजी का बेहतर विकल्प सीबीजी बन सकता है, क्योंकि सीबीजी को गोबर, नगरपालिका, महानगर पालिका का घनकचरे, गन्ने का वेस्ट एवं कृषि वेस्ट से बायोगैस को उत्पादित करके उसे कम्प्रेस्ड कर सीजीडी में उपयोग में लाने लायक बनाया जा सकता है। उसके लिए बायोगैस में मीथेन की ९० फीसदी उपस्थिति और उसकी केलोफैरिक वेल्यू नेचुरल गैस के बराबर होनी चाहिए। जिससे कम्प्रेस्ड बायो गैस के प्लांट को फिलहाल सीजीडी के नेटवर्क वाले स्थानों के पास ही लगाना हितावह है। इस सेक्टर में जर्मनी में सबसे ज्यादा काम हुआ है। भारत में संभावनाएं काफी हैं।
-प्रो.अनिरबिद सिरकार, डीजी, जीईआरएमआई