मामले के अनुसार वर्ष 1985 में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान अहमदाबाद शहर के खाडिया इलाके में पुलिस कांस्टेबल लक्ष्मण देसाई की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें भाजपा के पूर्व मंत्री अशोक भट्ट, पूर्व सांसद हरिन पाठक, भाजपा पार्षद मयूर दवे, विजय शाह, किरण शाह, ध्रुव व्यास और मधुकर व्यास शामिल थे। इसी मामले में अशोक भट्ट व हरिन पाठक को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया था।
इस मामले के मुकदमे में काफी देरी हुई क्योंकि यह मामला निचली अदालत से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। मृतक कांस्टेबल की पत्नी ने इस मामले की उचित जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। साथ ही भट्ट व पाठक की आरोप मुक्ति को भी चुनौती दी गई थी। इस मामले में मुकदमे में कई वर्षों तक रोक लगी रही।
इस मामले के मुकदमे में काफी देरी हुई क्योंकि यह मामला निचली अदालत से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। मृतक कांस्टेबल की पत्नी ने इस मामले की उचित जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। साथ ही भट्ट व पाठक की आरोप मुक्ति को भी चुनौती दी गई थी। इस मामले में मुकदमे में कई वर्षों तक रोक लगी रही।