scriptराजपथ क्लब की सदस्यता देने में गड़बड़ी,१.६५ करोड़ की चपत | 1.65 crore rupees fraud with Rajpath Club in Membership | Patrika News

राजपथ क्लब की सदस्यता देने में गड़बड़ी,१.६५ करोड़ की चपत

locationअहमदाबादPublished: Feb 15, 2019 11:11:37 pm

सदस्यों का संबंधी बताकर फीस में ५० प्रतिशत की छूट दिलाने और नए सदस्यों की फीस क्लब में जमा न करने का आरोप

Rajpath Club

राजपथ क्लब की सदस्यता देने में गड़बड़ी,१.६५ करोड़ की चपत

अहमदाबाद. शहर के सबसे बड़े पारिवारिक क्लबों में से एक राजपथ क्लब की सदस्यता देने में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर और क्लब के रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करके गैर सदस्यों को क्लब के सदस्यों का संबंधी बताकर उन्हें फीस में ५० प्रतिशत की छूट गलत तरीके से देने और नए बनाए हुए सदस्यों की सदस्यता फीस क्लब में जमा नहीं कर क्लब को एक करोड़ ६५ लाख रुपए की चपत लगाने का मामला सामने आया है।
क्लब के महाप्रबंध अमित पटेल ने क्लब के ही एक क्लर्क हितेश देसाई के विरुद्ध ठगी और विश्वासघात का मामला दर्ज कराया है। यह गड़बड़ी वर्ष २०१५ ले २०१८ के दौरान की गई है।
आरोप है कि हितेश देसाई ने २०१२ से अब तक काम करने के दौरान क्लब के कर्मचारियों और निदेशकों का विश्वास जीत लिया, जिसके चलते उसे क्लब में नए बनने वाले सदस्यों की सदस्यता देने की प्रक्रिया और पुराने सदस्यों की समस्याओं को निपटाने से जुड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। काम करने के दौरान उसने क्लब के पुराने और गैर सक्रिय सदस्यों के पुत्र-पुत्री बताकर तीन सदस्यों को क्लब की सदस्यता दिलाने में ५० फीसदी फीस की अवैध रूप से छूट दिलाई। नया सदस्य बनने के लिए सदस्य को दस लाख रुपए और जीएसटी देनी होती है, यदि क्लब के सदस्य के पुत्र या पुत्री हों तो उन्हें ५० प्रतिशत इसमें छूट दी जाती है।
ऐसा करके इसने गैर सदस्यों को लाभ दिलाया और शेष राशि के १५ लाख रुपए भी खुद ले लिए। क्लब में जमा नहीं कराए। इसके अलावा आरोप है कि इसने क्लब के पुराने 15 सदस्यों के नाम और पते के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके 15 अन्य लोगों को क्लब की मैम्बरशिप दे दी। ऐसी सदस्यता फीस डेढ़ करोड़ रुपए भी क्लब में जमा नहीं कराकर खुद ही ले ली और ऐसा करके इसने क्लब के साथ विश्वासघात और ठगी की है।
घटनाक्रम का पता २६ दिसंबर २०१८ को तब चला जब क्लब के एक सदस्य ने अन्य की सदस्यता के बारे में रिकॉर्ड मांगा। जीएम ने जब सदस्यता का काम देखने वाले हितेष व अन्य कर्मचारियों से रिकॉर्ड मांगा तो उन्हें रिकॉर्ड नहीं मिलने का कहा गया। इसके बाद हितेश ने क्लब में आना बंद कर दिया। शंका होने पर जांच करवाई तो क्लब के सदस्यता रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की बात सामने आई और पोल खुल गई।
हालांकि इतने बड़े और पुराने क्लब में सिर्फ क्लर्क के ही अकेले दम पर पुराने सदस्यों की सदस्यता में छेड़छाड़ कर उसे दूसरे लोगों को बेचने का घोटाला करना संभव नहीं लगता है। इसमें और जिम्मेदारों की भी लिप्तता होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल तो इस मामले में सिर्फ क्लर्क पर आरोप लगाते प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है।
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