पितरों का कर्ज चुकाने का महीना
पितृपक्ष हमारे पूर्वजों का कर्ज चुकाने का महीना माना जाता है। हमारे जीवन के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके लिए हम सब श्राद्ध पक्ष के दौरान उन्हें याद करते हैं, साथ ही उनके स्थान पर किसी को भोजन कराकर, तर्पण करके उन्हें सम्मान देते हैं। माना जाता है कि ये भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है और वे प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष के दौरान यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो हमारा ध्यान उस कार्य में लग जाएगा और हम अपने पितरों पर पूरा ध्यान नहीं रख पाएंगे। इसलिए इन दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम करने वर्जित माने गए हैं। इसके अलावा चूंकि ये महीना पितरों के कर्ज चुकाने का है, कर्जदार कोई नई वस्तु भला कैसे खरीद सकता है, इस मान्यता के कारण इन दिनों में कोई भी नई वस्तु खरीदने से परहेज किया जाता है।
पितृपक्ष हमारे पूर्वजों का कर्ज चुकाने का महीना माना जाता है। हमारे जीवन के लिए उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके लिए हम सब श्राद्ध पक्ष के दौरान उन्हें याद करते हैं, साथ ही उनके स्थान पर किसी को भोजन कराकर, तर्पण करके उन्हें सम्मान देते हैं। माना जाता है कि ये भोजन सीधे पितरों तक पहुंचता है और वे प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष के दौरान यदि कोई शुभ कार्य किया जाए तो हमारा ध्यान उस कार्य में लग जाएगा और हम अपने पितरों पर पूरा ध्यान नहीं रख पाएंगे। इसलिए इन दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम करने वर्जित माने गए हैं। इसके अलावा चूंकि ये महीना पितरों के कर्ज चुकाने का है, कर्जदार कोई नई वस्तु भला कैसे खरीद सकता है, इस मान्यता के कारण इन दिनों में कोई भी नई वस्तु खरीदने से परहेज किया जाता है।
तर्पण के पीछे ये है मान्यता
माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर पितृलोक से उतरकर पृथ्वीलोक में आते हैं। इन दिनों पितृलोक में जल की कमी होती है, ऐसे में उन्हें पृथ्वीलोक पर जल अर्पित करके तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृगणों को शान्ति मिलती है और वो बहुत खुश होते हैं। इससे घर में सुख शांति और समृद्धि बरकरार रहती है।
माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर पितृलोक से उतरकर पृथ्वीलोक में आते हैं। इन दिनों पितृलोक में जल की कमी होती है, ऐसे में उन्हें पृथ्वीलोक पर जल अर्पित करके तर्पण किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृगणों को शान्ति मिलती है और वो बहुत खुश होते हैं। इससे घर में सुख शांति और समृद्धि बरकरार रहती है।
श्राद्ध के दौरान याद रखें ये बातें
श्राद्ध के दौरान पंडित या किसी अन्य शख्स को भोजन कराने का विधान है। माना जाता है कि ये भोजन सीधे पितरों तक पहुंच रहा है। लेकिन इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
– जरूरतमंद लोगों में कपड़े और खाना बांटें। इससे पितरों को शान्ति मिलती है। – श्राद्ध दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए। इसे सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए।
– श्राद्ध के दौरान जब ब्राह्मण भोज करवाया जा रहा हो तो हमेशा दोनों हाथों से खाना परोसना चाहिए। – श्राद्ध के दिन प्याज और लहसुन जैसी चीजों का प्रयोग न करें। माना जाता है जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें पितरों को नहीं परोसा जाता है।