13 दिनों तक उसी घर में रहती है आत्मा जहां शरीर त्यागा है
गरुण पुराण के अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो दो यमदूत उसे साथ लेने आते हैं। मानव जीवन के अनुसार वो जैसे कर्म करता है, यमदूत उसके अनुसार उसे साथ ले जाते हैं। सज्जन पुरुष के प्राण निकलने में पीड़ा नहीं होती। लेकिन यदि व्यक्ति के कर्म बुरे हैं तो मौत तकलीफ देह होगी। गरुण पुराण के अनुसार यमदूत उसे सिर्फ 24 घंटे के लिए साथ ले जाते हैं और उसे दिखाते हैं कि जीवनभर उसने क्या क्या कर्म किए हैं। इसके बाद आत्मा को उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपने शरीर का त्याग किया था। 13 दिनों तक आत्मा वहीं रहती है।
गरुण पुराण के अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो दो यमदूत उसे साथ लेने आते हैं। मानव जीवन के अनुसार वो जैसे कर्म करता है, यमदूत उसके अनुसार उसे साथ ले जाते हैं। सज्जन पुरुष के प्राण निकलने में पीड़ा नहीं होती। लेकिन यदि व्यक्ति के कर्म बुरे हैं तो मौत तकलीफ देह होगी। गरुण पुराण के अनुसार यमदूत उसे सिर्फ 24 घंटे के लिए साथ ले जाते हैं और उसे दिखाते हैं कि जीवनभर उसने क्या क्या कर्म किए हैं। इसके बाद आत्मा को उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने अपने शरीर का त्याग किया था। 13 दिनों तक आत्मा वहीं रहती है।
13 दिनों बाद शुरू होती है यमलोक की यात्रा
13 दिनों बाद आत्मा फिर से यमलोक की यात्रा करती है। इस बीच उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा, ये उसके कर्म निर्धारित करते हैं। कर्मों के मुताबिक उसे किसी एक मार्ग पर भेज दिया जाता है। पहला अर्चि मार्ग यानी देवलोक की यात्रा का मार्ग, दूसरा मार्ग धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए और तीसरा मार्ग उत्पत्ति विनाश मार्ग जो नर्क की यात्रा के लिए होता है।
13 दिनों बाद आत्मा फिर से यमलोक की यात्रा करती है। इस बीच उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा, ये उसके कर्म निर्धारित करते हैं। कर्मों के मुताबिक उसे किसी एक मार्ग पर भेज दिया जाता है। पहला अर्चि मार्ग यानी देवलोक की यात्रा का मार्ग, दूसरा मार्ग धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए और तीसरा मार्ग उत्पत्ति विनाश मार्ग जो नर्क की यात्रा के लिए होता है।