script27 नक्षत्रों का राजा है पुष्य नक्षत्र वैदिक, जानिए इस नक्षत्र में क्या करें और क्या ना करें! | punya nakshatra start 27 to 28 november 2018 | Patrika News

27 नक्षत्रों का राजा है पुष्य नक्षत्र वैदिक, जानिए इस नक्षत्र में क्या करें और क्या ना करें!

locationआगराPublished: Nov 27, 2018 04:08:25 pm

वैदिक हिन्दू धर्म के अनुसार २७ नक्षत्र होते है इसमें पुष्य नक्षत्र सभी का राजा होता है और हर कार्य की सिद्धि प्रदान करने वाला महायोग होता है “पुष्यामृत योग”, आज 27 नवंबर 2018 से शुरू हुआ यह महायोग

saharanpur news

rashifal

आगरा। वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshtra) के आध्यातिमक रहस्यों के सन्दर्भ में बताते हुए कहा कि पुष्य नक्षत्र वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार 27 नक्षत्रों का राजा माना जाता है। यह नक्षत्र स्वाभाविक रूप से दैवीय शक्ति का प्रभाव लिये हुये होता है। पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला, मतान्तर से पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रूप मानते हैं। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वाला है। प्राचीन काल से विद्वान इस Pushya Nakshtra को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। प्राचीन काल से विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है।
राशि में होता है ऐसे
राशि में 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होती है। यह क्रान्ति वृ्त्त से 0 अंश 4 कला 37 विकला उत्तर तथा विषुवत वृ्त्त से 18 अंश 9 कला 59 विकला उत्तर में है। इस नक्षत्र में तीन तारे तीर के आगे का तिकोन सरीखे जान पड़ते हैं। बाण का शीर्ष बिन्दु या पैनी नोंक का तारा पुष्य क्रान्ति वृ्त्त पर पड़ता है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं। सूर्य जुलाई के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीने में रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक पुष्य नक्षत्र अपने शिरोबिन्दु पर होता है। पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है।
पुष्य नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व
वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह होता है। वैदिक प्राचीन हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में Pushya Nakshtra को बहुत ही शुभ माना गया है। वार एवं पुष्य नक्षत्र के संयोग से रवि-पुष्य जैसे शुभ योग का निर्माण होता है। इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है वे दूसरों की भलाई के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, इन्हें दूसरों की सेवा एवं मदद करना अच्छा लगता है। इस नक्षत्र के जातक को बाल्यावस्था में काफी मुश्किलों एवं कठिनाईयों से गुजरना पड़ता है। कम उम्र में ही विभिन्न परेशानियों एवं कठिनाईयों से गुजरने के कारण युवावस्था में कदम रखते रखते ये पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं। इस नक्षत्र के जातक मेहनत और परिश्रम से कभी पीछे नहीं हटते और अपने काम में लगन पूर्वक जुटे रहते हैं। ये अध्यात्म में काफी गहरी रूचि रखते हैं और ईश्वर भक्त होते हैं। इनके स्वभाव की एक बड़ी विशेषता है कि ये चंचल मन के होते हैं। ये अपने से विपरीत ***** वाले व्यक्ति के प्रति काफी लगाव व प्रेम रखते हैं। ये यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं। ये अपनी मेहनत से जीवन में धीरे-धीरे तरक्की करते जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में पैदा लेने वाले व्यक्ति अपनी मेहनत और लगन से जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होते हैं। ये गैर जरूरी चीज़ों में धन खर्च नहीं करते हैं, धन खर्च करने से पहले काफी सोच विचार करने के बाद ही कोई निर्णय लेते हैं। ये व्यवस्थित और संयमित जीवन के अनुयायी होते हैं। अगर इनसे किसी को मदद चाहिए होता है तो जैसा व्यक्ति होता है उसके अनुसार उसके लिए तैयार रहते हैं और व्यक्तिगत लाभ की परवाह नहीं करते। ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्वपूर्ण स्थान देते हैं। ये किसी भी दशा में सत्य से हटना नही चाहते, अगर किसी कारणवश इन्हें सत्य से हटना पड़ता है तो, ये उदास और खिन्न रहते हैं। ये आलस्य को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते, व एक स्थान पर टिक कर रहना पसंद नहीं करते।
पंचधातु में जड़वाएं ये
पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष में पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है और नीलम शनि का रत्न है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति का जन्म पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में हुआ है, तो उसे नीलम धारण करने से लाभ होता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ भाव के स्वामी के रूप में हों, उनको नीलम धारण करने से बहुत लाभ होता है। यदि आप भी इस श्रेणी में आते हैं तो नीलम धारण करना आपके लिए शुभ होगा। इसके लिए शनिवार को ही नीलम खरीदें, फिर उसे पंचधातु या स्टील की अंगूठी में जड़वाएं। गंगाजल से उसकी शुद्धि के पश्चात- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ शनि के मंत्र का जप करके सूर्यास्त से 1-2 घंटा पहले पहनें।

पुष्य नक्षत्र ये मुख्य तथ्य बनाती है इस नक्षत्र को अति शुभ
वैदिक सूत्रम चेयरमैन भविष्यवक्ता पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि शुक्रवार को छोड़कर किसी भी वार को पड़ने वाले पुष्‍य नक्षत्र के दिन किए गए कार्यों का उत्तम फल प्राप्त होता है। अर्थात उस कार्य को सिद्ध करने वाला होता है। यदि आप कोई वस्तु खरीदना चाहते हैं और फलदायी बनाना चाहते हैं तो उसे गुरुवार को खरीद लीजिए। यदि गुरुवार को पुष्य नक्षत्र का योग हो तो उस महूर्त को गुरु-पुष्यामृत योग कहा जाता है। जो कि किसी भी शुभ कार्य के आरम्भ के लिए सबसे बड़ा महूर्त होता है। हिन्दू धर्म में व्रत, पर्व और त्योहार हैं और सबका अपना महत्व है। इन सभी पर्वों में मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। वैसे तो हर किसी शुभ कार्य के लिए अलग-अलग मुहूर्त होते हैं, लेकिन कुछ मुहूर्त हर कार्य के लिए विशेष होते हैं। इन्हीं में एक है, पुष्य नक्षत्र जिसे खरीदारी से लेकर अन्य शुभ कार्यों तक महामुहूर्त का स्थान प्राप्त है।
पुष्य नक्षत्र का महूर्त में महत्व

1. पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए हैं और शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि‍ माना जाता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धि‍मत्ता और ज्ञान का प्रतीक हैं, तथा शनि स्थायि‍त्व का, इसलिए इन दोनों का योग मिलकर पुष्य नक्षत्र को शुभ और चिर स्थायी बना देता है।

2. पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। ऋगवेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है।

3. पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए विशेष मुहूर्त माना जाता है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थायी माना जाता है और इस मुहूर्त में खरीदी गई कोई भी वस्तु अधिक समय तक उपयोगी और अक्षय होती है। इसके अलावा इस मुहूर्त में खरीदी गई वस्तु हमेशा शुभ फल प्रदान करती है।
4. पुष्य नक्षत्र में खास तौर से स्वर्ण की खरीदी का महत्व होता है। लोग इस दिन स्वर्ण की खरीदी भी इसलिए करते हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है।

5. पुष्य नक्षत्र स्वास्थ्य और सेहत की दृष्ट‍ि से भी विशेष महत्व रखता है। पुष्य नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में सक्षम होता है। शारीरिक कष्ट निवारण के लिए यह मुहूर्त शुभ होता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो