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कल-कल यमुना चमके ताज, चलो करें हम ऐसा काज प्रमोद कटारा ने अपने रिकॉर्ड बनाने के जुनून को भारत की नदियों के स्वच्छता अभियान के साथ जोड़ दिया है । उनका कहना है कि नदियां सुरक्षित हैं तो हमारे देश की शान ताजमहल भी सुरक्षित रहेगा। उनका नारा “कल-कल यमुना चमके ताज, चलो करें हम ऐसा काज।” रिकॉर्ड बनाने के साथ उनका ये संदेश ताजमहल से इंडिया गेट तक दस्तक देने जा रहा है।
कल-कल यमुना चमके ताज, चलो करें हम ऐसा काज प्रमोद कटारा ने अपने रिकॉर्ड बनाने के जुनून को भारत की नदियों के स्वच्छता अभियान के साथ जोड़ दिया है । उनका कहना है कि नदियां सुरक्षित हैं तो हमारे देश की शान ताजमहल भी सुरक्षित रहेगा। उनका नारा “कल-कल यमुना चमके ताज, चलो करें हम ऐसा काज।” रिकॉर्ड बनाने के साथ उनका ये संदेश ताजमहल से इंडिया गेट तक दस्तक देने जा रहा है।
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ये हैं रिकॉर्ड 25 जून 2013 को 120 सेंटीमीटर की स्विस बॉल पर 7 घंटे 40 मिनट तक अपना संतुलन बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने नेशनल रिकॉर्ड में शामिल कर 2014 में प्रकाशित किया।
ये हैं रिकॉर्ड 25 जून 2013 को 120 सेंटीमीटर की स्विस बॉल पर 7 घंटे 40 मिनट तक अपना संतुलन बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने नेशनल रिकॉर्ड में शामिल कर 2014 में प्रकाशित किया।
25 जून 2014 को प्रमोद कटारा ने एक ही दिन में 5 रिकॉर्ड बनाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया एवं लिम्का बुक एवं इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने अपने 2015 में संस्करण में प्रकाशित किया।
29 सितंबर 2014 को वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रमोद कुमार कटारा को Stamina & Endurance Category में अधिकतम 21 रिकॉर्ड बनाने के लिए डॉक्टरेट डिग्री से सम्मानित किया गया। 27 मई से 28 जून 15 तक 1 महीने में 14 रिकॉर्ड बना कर एक इतिहास रच दिया ।
21 जून 2016 को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जयपुर के वर्ल्ड ट्रेड पार्क में 120 सेंटीमीटर की स्विस बॉल पर वज्रासन का रिकॉर्ड बनाया। 21 नवम्बर 2017 को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड एवं वर्ल्ड स्टेज 2017 द्वारा एशिया के टॉप 100 रिकॉर्ड होल्डर की सूची में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका है।
यह भी पढ़ें VIDEO देश की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है बांके बिहारी जी के हिंडोले का इतिहास, जानिए रोचक तथ्य कौन हैं प्रमोद कटारा प्रमोद कटारा का जन्म आगरा में 15 जनवरी 1965 को हुआ। 2005 में गठिया अर्थात ऑस्टियोआर्थराइटिस की बीमारी के शिकार हो गए। महीनों दर्द की दवाइयों से आराम ना मिलने पर उनको दवाइयों से नफरत हो गई और संकल्प लिया कि मुझे किसी बीमारी के सामने झुकना नहीं है। अंत में ध्यान एवं योग की मदद से मैंने आर्थराइटिस के दर्द पर काबू पाने की तकनीक हासिल की । प्रमोद कटारा व्यायाम के लिए प्रतिदिन 4 से 6 घंटे का समय देते हैं। प्रमोद ने 1 वर्ष से खाना छोड़ दिया है। वह किसी भी फूड सप्लीमेंट एवम् दुग्ध उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करते। वे सिर्फ प्राकृतिक भोजन पर ही विश्वास करते हैं। वर्तमान में से कटारा अर्थराइटिस के मरीजों को प्राकृतिक परामर्श एवं प्रशिक्षण देते हैं। प्रमोद कुमार कटारा की कहानी दृढ़ संकल्प एवं आत्म प्रेरणा के इर्द-गिर्द घूमती है।