तत्काल इलाज जरूरी
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ यूबी सिंह ने बताया कि इस बार इन दोनों इलाकों में लगायी गयी टीमें घर में मौजूद हर सदस्य से बात करेंगी। घर के हर सदस्य से बात करने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि कहीं कोई चूक न रह जाये। उन्होंने बताया कि टीबी का एक मरीज 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर देता है, इसलिए टीबी के मरीज की जल्दी पहचान होने के बाद तत्काल उसका उपचार शुरू होना जरूरी है। जांच के लिए इलाके में एक-एक मोबाइल यूनिट भी लगायी गयी है, तो संदिग्ध मरीज मिलने की सम्भावना में तत्काल जांच की जा सके।
जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ यूबी सिंह ने बताया कि इस बार इन दोनों इलाकों में लगायी गयी टीमें घर में मौजूद हर सदस्य से बात करेंगी। घर के हर सदस्य से बात करने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि कहीं कोई चूक न रह जाये। उन्होंने बताया कि टीबी का एक मरीज 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर देता है, इसलिए टीबी के मरीज की जल्दी पहचान होने के बाद तत्काल उसका उपचार शुरू होना जरूरी है। जांच के लिए इलाके में एक-एक मोबाइल यूनिट भी लगायी गयी है, तो संदिग्ध मरीज मिलने की सम्भावना में तत्काल जांच की जा सके।
निजी अस्तालों में इलाज करा रहे मरीजों की भी पहचान होगी
जिला समन्वयक कमल कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान लगायी गयी टीमों को प्रशिक्षण के माध्यम से यह बताया गया है कि अभियान के तहत लोगों से कैसे सवाल करने हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत इस बात की भी जानकारी की जायेगी कि कौन से मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। उनको चिन्हित करने के साथ-साथ जागरुक किया जायेगा कि वह इलाज को पूरा करें बीच में न छोड़ें। टीबी के प्रति जागरुकता के लिए प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है।
जिला समन्वयक कमल कुमार ने बताया कि अभियान के दौरान लगायी गयी टीमों को प्रशिक्षण के माध्यम से यह बताया गया है कि अभियान के तहत लोगों से कैसे सवाल करने हैं। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत इस बात की भी जानकारी की जायेगी कि कौन से मरीज प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। उनको चिन्हित करने के साथ-साथ जागरुक किया जायेगा कि वह इलाज को पूरा करें बीच में न छोड़ें। टीबी के प्रति जागरुकता के लिए प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है।
बनाए जाएंगे फैमिली डॉट प्रोवाइडर
अभियान के दौरान चिन्हित किया गया मरीज अपनी पहचान गुप्त रखना चाहता है तो ऐसे मरीजों की प्राइवेसी के लिए फैमिली डॉट प्रोवाइडर बनाये जायेंगे। इन फैमिली डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से मरीज को दवा आदि उपलब्ध कराई जाएगी।
अभियान के दौरान चिन्हित किया गया मरीज अपनी पहचान गुप्त रखना चाहता है तो ऐसे मरीजों की प्राइवेसी के लिए फैमिली डॉट प्रोवाइडर बनाये जायेंगे। इन फैमिली डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से मरीज को दवा आदि उपलब्ध कराई जाएगी।