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जरा सा चलते ही सांस का फूलना, फेफड़े की बेहद गंभीर बीमारी का संकेत

locationआगराPublished: May 02, 2018 11:25:13 am

Submitted by:

suchita mishra

विशेषज्ञ का कहना भारत में आईएलडी के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में सांस संबंधी कोई भी परेशानी होने पर फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।

ILD

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अगर थोड़ा काम करतेे ही थक जाते हैं, जरा सा चलने में ही सांस फूल जाती है, सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है, लंबी सांस नहीं ले पाते हैं या फिर लंबे समय से सूखी खांसी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो फौरन डॉक्टर को अपनी समस्या बताइए। ये समस्या फेफड़े की गंभीर बीमारी आईएलडी यानी इंटरस्टीशियल लंग डिजीज भी हो सकती है। इन दिनों भारत में ये बीमारी तेजी से अपने पैर पसार रही है। खास बात ये है कि इस बीमारी को दवाओं और परहेज से नियंत्रित तो किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता।
क्या है ILD
श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. निष्ठा सिंह बताती हैं कि आईएलडी फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है। इसमें मरीज के फेफड़े सिकुड़ जाते हैं। डॉ. निष्ठा का कहना है कि फेफड़े सिकुड़ने के कारण व्यक्ति के शरीर में आॅक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है। इसके कारण मरीज को सांस संबंधी तमाम समस्याएं होती हैं। कई बार सूखी खांसी रहती है। जल्दी थकान होती है। डॉ. निष्ठा बताती हैं कि सिकुड़े हुए फेफड़ों को वापस ठीक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन सही समय पर रोग की पहचान करने के बाद नियमित दवा और परहेज की मदद से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

भारत में मिलते हैं ILD Hypersensitivity Pneumonitis के मरीज
डॉ. निष्ठा सिंह का कहना है कि रिसर्च में सामने आया है कि भारत में ILD Hypersensitivity Pneumonitis के मरीज सबसे ज्यादा पाए जाते हैं। इसे आईएलडी एचपी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भी यदि Acute ILD का इलाज तो आसानी से हो सकता है, लेकिन Chronic ILD का इलाज जीवनभर चलता है।
क्रॉनिक आईएलडी एचपी के कारण
इसके तमाम कारण हो सकते हैं। कबूतरों या किसी अन्य बर्ड के बीच रहने से ये बीमारी हो सकती है। कई बार कबूतर हमारे घर की खिड़कियों या रोशनदान में अपना घर बना लेते हैं। ऐसे में उनकी बीट या पंखों से आईएलडी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा बंद कमरे की सीलन, कूलर की जालियों की गंदगी व फंगस से भी ये समस्या हो सकती है। रुमेटॉयड आर्थराइटिस, स्क्लेरोडर्मा और जॉगरेन सिंड्रोम के मरीजों को भी आइएलडी की परेशानी हो सकती है।
लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें
सांस संबंधी कोई भी समस्या होने पर टालें नहीं फौरन डॉक्टर को दिखाएं। यदि आईएलडी की प्रारंभिक अवस्था होती है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक, एंटीफिब्रोटिक, स्टेयरॉइड्स, इम्युनोसप्रेसिव दवाओं से उपचार करते हैं। बीमारी बढऩे पर मरीज को आजीवन ऑक्सीजन लेने की जरूरत पड़ सकती है। गंभीर अवस्था में यदि मरीज को बार-बार संक्रमण की शिकायत हो तो फेफड़ों का प्रत्यारोपण भी कराना पड़ सकता है।
बचाव के उपाय
बीमारी के कारण से बचाव ही इसका इलाज है। कबूतर या किसी भी तरह की बर्ड से पूरी तरह दूरी बनाएं। घर की खिडकियों में जालियां लगवाएं। किचेन में एग्जॉस्ट का प्रयोग करें। योग ? प्राणायाम नियमित रूप से करें।

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