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अल्ट्रासाउंड से बांझपन का इलाज महज पांच मिनट में, दो घंटे में घर वापसी

locationआगराPublished: May 03, 2019 06:19:00 pm

इंडियन सोसायटी ऑफ अल्ट्रासाउंड इन ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (इनसॉग-2019) का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, देश-दुनिया के 600 चिकित्सक आए

Gynecology Ultrasound

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आगरा। पहला, दूसरा, तीसरा ट्राईमेस्टर, प्रीनेटल वर्कशॉप, सावधानियां, गर्भावस्था पोषण, कलर डॉप्लर सोनोग्राफी, सात से आठ महीने की सोनोग्राफी, पहली सोनोग्राफी, अल्ट्रासोनोग्राफी, संक्रमण से बचाव, स्वस्थ गर्भावस्था की योजना, गर्भावस्था में कौन सा टेस्ट कितना जरूरी? इन्हीं सब बातों पर आगरा में स्त्री रोग एवं अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों के सम्मेलन में चर्चा की जा रही है। 600 चिकित्सक भाग ले रहे हैं। 03 से 05 मई 2019 तक फतेहाबाद रोड स्थित होटल मेंशन ग्रांड में इंडियन सोसायटी ऑफ अल्ट्रासाउंड इन ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (इनसॉग-2019) के पहले दिन महिलाओं से जुड़ी तमाम गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं, उनके निराकरण एवं इलाज के साथ ही अल्ट्रासाउंड एवं प्रसूति क्षेत्र के वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा मंथन किया गया।
बांझपन के इलाज में अल्ट्रासाउंड जांच की महत्ता
ऑर्गनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि अल्ट्रासाउंड से महिला व पुरुष दोनों के बांझपन का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक बांझपन के इलाज में भी बेहद मददगार साबित हो रही है। अल्ट्रासाउंड गाइडेट ट्रीटमेंट से बांझपन दूर करने में काफी मदद मिल रही है। ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि अल्ट्रासाउंड से बांझपन की विभिन्न वजहों जैसे फैलोपिन ट्यूब में रुकावट, अंडे का न बनना, छोटी या बड़ी बच्चेदानी का पता लगाया जा सकता है। इसी तरह टेस्टिस का छोटा या बड़ा होना और शुक्राणुओं के कम बनने के बारे में पता लगाया जा सकता है। जांच के बाद बांझपन का अल्ट्रासाउंड गाइडेड ट्रीटमेंट किया जा सकता है। इस विधि की मदद से महिलाओं में छोटी गांठ को नली डालकर महज पांच मिनट में निकालकर बांझपन का इलाज किया जा सकता है। मरीज सिर्फ दो घंटे बाद घर जा सकती है। इस दौरान डा. प्रशांत आचार्य, डा. गीता कॉलर, डा. पीके शाह, डॉ प्रतिमा राधाकृष्णन, डॉ. बीएस रामामूर्ति, डॉ. पीके शाह, डॉ. एस सुरेश, डॉ. सुशीला वविलाला आदि ने भी महत्वपूर्ण जानकारी दी।

गर्भ को बचाएं एक्टोपिक प्रेग्नेंसी सेः डॉ. ऋषभ बोरा
अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉ. ऋषभ बोरा ने बताया कि जब भ्रूण गर्भाशय की जगह फैलोपिन ट्यूब में ठहर जाता है तो उसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। जितनी जल्दी इस परेशानी का पता चल जाए, इलाज उतने बेहतर तरीके से संभव है। यह एक ऐसा गर्भ है जो अपने स्थान से हटकर अन्य कहीं स्थापित हो जाता है, लेकिन इस तरह के गर्भ से अक्सर गर्भपात हो जाता है। लेकिन कई बार गर्भ का पूरा विकास भी हो जाता है, जो मां की जान के लिए खतरनाक होता है।
गर्भ में बीमारियों की पहचान और इलाज संभवः डॉ. चंदर
वरिष्ठ अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉ. चंदर लुल्ला ने बताया कि जन्म से पहले भ्रूण में अनगिनत बीमारियों की पहचान और समय रहते उपचार संभव है। अल्ट्रासाउंड के जरिए समय रहते इनका पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा कई बार प्रसव के बाद नवजात का बेहतर इलाज भी किया जा सकता है। अल्ट्रासाउंड के जरिए आकस्मिक रक्तस्त्राव, क्रोमोसोमल विसंगतियों की जांच, आंवल नाल की स्थिति, अपरिपक्व प्रसव आदि परेशानियों का पता लगाया जा सकता है।
दिमागी समस्याओं का भी लगा सकते हैं पताः डॉ. अनीता कौल
डॉ. अनीता कॉल ने फीटल ब्रेन डैमेज और ब्रेन स्ट्रोक के बारे में जानकारी दी। कहा कि अल्ट्रासाउंड की मदद से कई मामलों में गर्भ में शिशु की दिमागी या सिर से जुड़ी समस्याओं का पता भी लगाया जा सकता है। सिर का सही आकार में न बनना, सिर में पानी भर जाना। इसके अलावा दिल से संबंधित आकार विकार, नाभि एवं पेट की सतह में विकार, गुर्दे, हाथ-पैरों की विषमताएं, क्रोमोसोमल विसंगतियां आदि समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।
पहले दिन 8 सत्रों में 46 व्याख्यान
सम्मेलन का पहला दिन ज्ञानवर्धन और प्रशिक्षण के लिहाज से खास रहा। कुल आठ सत्रों में 46 व्याख्यान हुए। इसके अलावा लाइव वर्कशॉप, पेपर प्रजेंटेशन और पैनल डिस्कशन का दौर जारी रहा। डॉ. बीएस रामामूर्ति ने सेप्टम पर, डॉ. प्रतिमा राधाकृष्णन ने कार्डियक डिफेक्ट्स पर,
डॉ. क्रिस्टिन गबनर ने फीटल एचक्यू नई तकनीक पर, डॉ. ज्योति चैबल ने कार्डियक चैंबर पर, डॉ. माला सिबल ने आईओटीए पर, डॉ. विवेक कश्यप ने एंडोमेट्रिओमा, डॉ. मीनू अग्रवाल ने थिन एंडोमेट्रिअम पर, डॉ. अंकिता कौल ने फीटल स्ट्रोक पर, डॉ. भूपेंद्र आहूजा ने जेनेटिक एंड अल्ट्रासाउंड पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। डॉ. अशोक खुराना और डॉ. प्रतिमा की देखरेख में प्रारंभिक गर्भावस्था का मूल्यांकन आदि विषय पर पैनल डिस्कशन हुए।
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