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गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व से पहले सिख समुदाय ने उठाई ये मांग

locationआगराPublished: Sep 24, 2018 04:31:31 pm

करतापुर गुरुद्वारा के लिए सिख समुदाय को बिना वीजा के मिले एंट्री, 550वें प्रकाशोत्सव पर भारत पाकिस्तान की नदी पर बने नानक अटल सेतु

guru nanak dev

गुरुनानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर्व से पहले सिख समुदाय ने उठाई ये मांग

आगरा। पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने कुछ दिनों पहले एक बयान दिया था कि पाकिस्तान द्वारा करतारपुर स्थित डेरा बाबा नानक सेक्टर का गुरुद्वारा के लिए सिख समुदाय के श्रद्धालुओं की एंट्री बिना वीजा के होगी। करतारपुर गुरुद्वारा में सिख समुदाय के श्रद्धालुओं को बिना वीजा और पासपोर्ट के लिए जाने की अनुमति के लिए आगरा में लंबे समय से लड़ाई लड़ी जा रही है। गुरसिख वेलफेयर एसोसिएशन इस मुद्दे पर अब सरकार का स्पष्ट रुख चाहती है। सोमवार को गुरुद्वारा गुरु का ताल पर सिख समुदाय के लोग एकत्रित हुए और उन्होंने सरकार से मांग की कि अगले साल होने वाले गुरु नानकजी के 550वें प्रकाशोत्सव के लिए आम श्रद्धालुओं की बेरोकटोक आवाजाही की व्यवस्था करे।
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लाहौर बस लेकर गए थे अटलजी
गुरुद्वारा गुरु का ताल के संत बाबा प्रीतम सिंह का कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने के बाद लाहौर बस लेकर गए थे। तब भी गुरसिख वेलफेयर एसोसिएशन ने मांग उठाई थी। इसके बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आगरा में हुई शिखर वार्ता के समय भी ये पहल की गई थी, लेकिन, उस समय कोई वार्ता नहीं हुई। संस्था के पदाधिकारी रविंद्र पाल सिंह टिम्मा ने बताया कि पाकिस्तान के तत्कालीन उच्चायुक्त अशरफ जहांगीर काजी ने दिल्ली में बातचीत के लिए बुलावा दिया था और फिर पाकिस्तान सरकार ने उनकी मांग पर सहमति जताने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन, भारत सरकार द्वारा इस दौरान कोई प्रयास नहीं किया गया।
देश की आजादी में सिखों ने किया बलिदान
गुरसिख वेलफेयर एसोसिएशन करतारपुर स्थित डेरा बाबा नानक सेक्टर स्थित गुरुद्वारा के संबंध में बीते दो दशकों से पत्राचार कर रहा है। रविंद्र पाल सिंह टिम्मा का कहना है कि 87 प्रतिशत सिखें ने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी, देश के विभाजन के वक्त अंग्रेजों ने सिखों के लिए अलग सिक्ख राष्ट्र का प्रस्ताव रखा, जिसे सिख नेताओं ने ठुकरा दिया और भारत में रहने का ऐलान किया। सिखों के साथ कई बार धोखा हुआ। देश के बंटवारे के वक्त लाहौर भारत में आना था और पाकिस्तान में कलकत्ता जा रहा था। लेकिन, रातों रात भारतीय नेताओं ने लाहौर पाकिस्तान को सौंप दिया और कलकत्ता को भारत में मिला लिया। यह सिखों ओर गुरुनानक देवजी के प्रति श्रद्धाभाव रखने वाले जनमानस की भावनाओं से जुड़ा मसला है। गुरुनानक सिख ही नहीं पूरे भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। बंटवारे के समय भी सिखों का विशेष सम्मान दूसरे धर्मों के लोग करते हैं। बंटवारे के समय सिखों को विशेष रियायतों का आश्वासन दिया था लेकिन, सिख जत्थे बंदिया और नेताओं ने इस गंभीर विषय को भूलकर अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे रहे।
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अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी शुरुआत
पाकिस्तान में गुरुनानक देवजी से जुड़े धार्मिक स्थल, करतारपुर साहिब जाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच नदी पर पुल बनाने की आवश्यकता है। यह प्रयास अटल बिहारी वाजयेपी की सरकार के समय हुआ था, इसलिए इस पुल का नाम नानक अटल सेतु रखा जाए। अगले वर्ष गुरु नानकजी का 550वां प्रकाशोत्सव मनाया जाएगा। इस पर दोनों देशों की सरकारें सिखों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए नदी पर पुल बनाने की व्यवस्था करें और गुरुद्वारा में आम श्रद्धालुओं की बेरोक टोक आवाजाही की व्यवस्था की जाए।
ये रहे मौजूद
गुरुद्वारा में श्याम भोजवानी, राजू सलूजा, उपेन्द्र सिंह लवली, रानी सिंह, बंटी ओवराय,हरजीत सिंह, वीर मोहिंदर पाल, गुरमीत सेठी, हरपाल सिहं, जरनैल सिंह, हरविंदर सिंह, बाबा वीर, मनीष साहनी, नरेंद्र सिंह, दलजीत आदि मौजूद थे।
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