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नुक्कड़ नाटक पेश कर रही टीम का नेतृत्व कर रहे प्रोग्राम आफीसर अभिनव सिंह ने बताया कि जन्म के समय पैर टेढ़े हुए पीड़ित बच्चे का इलाज कहां, कैसे और किसके माध्यम से निःशुल्क कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम सप्ताह में पांच दिन जिले की सीएचसी और पीएचसी पर भ्रमण करती है, और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम से मिलकर जन्मजात बीमारियों के शिकार बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में क्लीनिक डे के दिन भर्ती कराने के लिए आग्रह करती है। जिले में बुधवार और गुरुवार को क्लीनिक डे का आयोजन किया जाता है। अभिनव ने बताया कि चलने फिरने से लाचार बच्चों को संस्था की तरफ से क्लीनिक डे पर उपकरण (ब्रेसेस) दिये जाते हैं,। जबकि अन्य अस्पतालों में इसके सामान मंगाकर बनाए जाते हैं फिर दिये जाते हैं। प्राइवेट अस्पतालों में यह ब्रेसेस 3 से 4 हजार रुपये में मिलते हैं।
नुक्कड़ नाटक पेश कर रही टीम का नेतृत्व कर रहे प्रोग्राम आफीसर अभिनव सिंह ने बताया कि जन्म के समय पैर टेढ़े हुए पीड़ित बच्चे का इलाज कहां, कैसे और किसके माध्यम से निःशुल्क कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनकी टीम सप्ताह में पांच दिन जिले की सीएचसी और पीएचसी पर भ्रमण करती है, और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम से मिलकर जन्मजात बीमारियों के शिकार बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में क्लीनिक डे के दिन भर्ती कराने के लिए आग्रह करती है। जिले में बुधवार और गुरुवार को क्लीनिक डे का आयोजन किया जाता है। अभिनव ने बताया कि चलने फिरने से लाचार बच्चों को संस्था की तरफ से क्लीनिक डे पर उपकरण (ब्रेसेस) दिये जाते हैं,। जबकि अन्य अस्पतालों में इसके सामान मंगाकर बनाए जाते हैं फिर दिये जाते हैं। प्राइवेट अस्पतालों में यह ब्रेसेस 3 से 4 हजार रुपये में मिलते हैं।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुडे़ डीईआईसी मैनेजर रमाकान्त शर्मा ने बताया कि जब किसी घर में इस तरह के बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे के परिवार वालों को घर और समाज की तरफ से काफी ताने सुनने को मिलते है। परिवार वालों को पता नहीं होता है कि सरकार की तरफ से इस तरह की बीमारियों का इलाज फ्री किया जा रहा है। लोगों को जागरुक करने के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम की मदद से इलाज कराये जाने पर मरीज के परिवार वालों को एक भी पैसा नहीं देना पड़ता है। नुक्कड़ नाटक पेश करने वाली टीम में अन्ना मुखर्जी, मनीष कुमार, ऋषि, कौशल, पवन कुशवाहा, सुमित कुमार, पवन कुशवाहा, आयुष कुल श्रेष्ठ, जतिन कुकरेजा आदि शामिल थे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से जुडे़ डीईआईसी मैनेजर रमाकान्त शर्मा ने बताया कि जब किसी घर में इस तरह के बच्चे का जन्म होता है तो बच्चे के परिवार वालों को घर और समाज की तरफ से काफी ताने सुनने को मिलते है। परिवार वालों को पता नहीं होता है कि सरकार की तरफ से इस तरह की बीमारियों का इलाज फ्री किया जा रहा है। लोगों को जागरुक करने के लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम की मदद से इलाज कराये जाने पर मरीज के परिवार वालों को एक भी पैसा नहीं देना पड़ता है। नुक्कड़ नाटक पेश करने वाली टीम में अन्ना मुखर्जी, मनीष कुमार, ऋषि, कौशल, पवन कुशवाहा, सुमित कुमार, पवन कुशवाहा, आयुष कुल श्रेष्ठ, जतिन कुकरेजा आदि शामिल थे।